हमाहमी में रहनुमा, जाय भाड़ में देश |
अहम् रहे हरदम अहिम, भोगे जन-गण क्लेश |
भोगे जन-गण क्लेश, लूट का फल पायेगा |
आया खाली हाथ, हाथ खाली जाएगा |
रविकर बदलो सोच, चार दिन का जब मे'हमाँ ।
मत कर अत्याचार, आम जन सहमा सहमा |।
त्राहिमाम उच्चार, हुआ प्रभुमै मै मैगल
(१)
मै-मैगल अंकुश-रहित, *गलगाजन जलकेलि |
पग जकड़े गलग्राह जब, होय बंद अठखेलि |
मैगल=हाथी गलगाजन=आनंद से गरजना
होय बंद अठखेलि, ताल में ताल ठोंकते |
लड़ें युद्ध गज-ग्राह, समूची शक्ति झोंकते |
शिथिल होंय पद-चार, शुण्ड ऊपर कर विह्वल |
त्राहिमाम उच्चार, हुआ प्रभुमै मै मैगल ॥
(२)
शुद्ध तत्त्व हों पाँच, दूर हों नाग विषैले |
रविकर दर्शन साँच, भीड़ भारी है उमड़ी |
(२)
तुम तुमड़ी तुल तुक तुमुल, सुन नागिन-मन नाँच |
बिसराऊँ सुध-बुध जहर, शुद्ध तत्त्व हों पाँच |
शुद्ध तत्त्व हों पाँच, दूर हों नाग विषैले |
पड़े तुम्हारी आँच, कीर्ति दुनिया में फैले |
रविकर दर्शन साँच, भीड़ भारी है उमड़ी |
काँचुलि काँचन कांति, बढ़ाये तुर तुम तुमड़ी ||
अनुसन्धान जबर्दस्त है।
ReplyDeleteप्रभावशाली
ReplyDeleteबहुत सुंदर---!!!!!
मित्रवर!गणतन्त्र-दिवस की ह्रदय से लाखों वधाइयां !
ReplyDeleteरचना अच्छी है !कटुसत्य कथन में आपका जबाब नहीं !!
हमाहमी में रहनुमा, जाय भाड़ में देश |
ReplyDeleteअहम् रहे हरदम अहिम, भोगे जन-गण क्लेश |
भोगे जन-गण क्लेश, लूट का फल पायेगा |
आया खाली हाथ, हाथ खाली जाएगा |
सत्य वचन।
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteहमाहमी में रहनुमा, जाय भाड़ में देश |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
हमाहमी में रहनुमा, जाय भाड़ में देश |
ReplyDeleteअहम् रहे हरदम अहिम, भोगे जन-गण क्लेश |
भोगे जन-गण क्लेश, लूट का फल पायेगा |
आया खाली हाथ, हाथ खाली जाएगा |
रविकर बदलो सोच, चार दिन का जब मे'हमाँ ।
मत कर अत्याचार, आम जन सहमा सहमा |।
इस रचना का हर बंद कीमती और अर्थ पूर्ण है (१) और (२)की खूबसूरती देखते बनती है .