04 February, 2014

भ्रष्टाचारी मर रहे, जियें झूठ के वीर-

(धनबाद आ गया हूँ-सादर)

भ्रष्टाचारी मर रहे, जियें झूठ के वीर |
क़त्ल कलम करने लगी, जिला रही शमशीर |

जिला रही शमशीर, चोर-कुल जिला-बदर हो |
जो मारे सो मीर, शोर भी अब दमभर हो |

हुआ अराजक राज, करे झूठा मक्कारी |
झूठ-मूठ आह्लाद, मिटा हर भ्रष्टाचारी ||

4 comments:

  1. यह आरी बड़ी तेज चल रही है।

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  2. सवागत है !
    कमी खल रही थी !
    सुंदर !

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  3. बहुत सटीक बहुत सुन्दर प्रासंगिक चित्रण .

    भ्रष्टाचारी मर रहे, जियें झूठ के वीर |
    क़त्ल कलम करने लगी, जिला रही शमशीर |

    जिला रही शमशीर, चोर-कुल जिला-बदर हो |
    जो मारे सो मीर, शोर भी अब दमभर हो |

    हुआ अराजक राज, करे झूठा मक्कारी |
    झूठ-मूठ आह्लाद, मिटा हर भ्रष्टाचारी ||

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