09 January, 2014
दूजे तल्ले के पिलर, आप करे आहूत-
पहले
तल्ले के लिए, नहीं नींव मजबूत ।
दूजे तल्ले के पिलर, आप करे आहूत ।
आप करे आहूत, हड़बड़ी पूर्ण कार्य है ।
घूरें घर यमदूत, घूरता अघ-अनार्य है ।
माना दिल्ली दाँव, पड़े नहले पे दहले ।
बिन अनुभव ईमान, ढहाए भवन रु
पहले
॥
3 comments:
Harihar (विकेश कुमार बडोला)
9 January 2014 at 02:12
देखिए क्या होता है।
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देवदत्त प्रसून
9 January 2014 at 03:02
शुभ दिवस ! क्या ही सुन्दर कुण्डलियाँ !!
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शिवनाथ कुमार
9 January 2014 at 06:46
सार्थक सुन्दर कुण्डलियाँ
सादर !
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देखिए क्या होता है।
ReplyDeleteशुभ दिवस ! क्या ही सुन्दर कुण्डलियाँ !!
ReplyDeleteसार्थक सुन्दर कुण्डलियाँ
ReplyDeleteसादर !