बन्दे कर खुद का भला, टिके अगर आनंद |दूजे का करना तभी, ये तो हैं मतिमंद |ये तो हैं मतिमंद, त्वरित आनंद माँगते |छोड़-छाड़ सद्कर्म, धर्म की परिधि लाँघते |हरदम सुख की चाह, इरादे रविकर गंदे |माने नहीं सलाह, भोगवादी ये बन्दे ||बहुत सुन्दर है सटीक है भाई रविकर जी।
ये बात तो है ही। प्रभावी। शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर !
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
बन्दे कर खुद का भला, टिके अगर आनंद |
ReplyDeleteदूजे का करना तभी, ये तो हैं मतिमंद |
ये तो हैं मतिमंद, त्वरित आनंद माँगते |
छोड़-छाड़ सद्कर्म, धर्म की परिधि लाँघते |
हरदम सुख की चाह, इरादे रविकर गंदे |
माने नहीं सलाह, भोगवादी ये बन्दे ||
बहुत सुन्दर है सटीक है भाई रविकर जी।
ये बात तो है ही। प्रभावी। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDelete