चली मिटाने सब्सिडी, भ्रष्टाचारी कोढ़ ।
माल मुफ्त में काट के, घी पी कम्बल ओढ़ ।।
पाक चाहता आप की, सेंटर में सरकार ।
मिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार॥
तोड़ी झुग्गी झोपड़ी, खोदे बड़े पहाड़ ।
घूम चुकी है खोपड़ी, फिर भी रहा दहाड़ ॥
दक्षिण-पंथी घूरते, हर्षित दीखे वाम ।
कांग्रेसी संतुष्ट हैं, देख आप का काम ॥
बहुत बहुत शुभकामना, बना रहे ईमान ।
कर मुस्लिम से दोस्ती, हिन्दू का भी ध्यान ॥
बढिया, बहुत सुंदर
ReplyDeleteदक्षिण-पंथी घूरते, हर्षित दीखे वाम ।
कांग्रेसी संतुष्ट हैं, देख आप का काम ॥
क्या बात है..
क्या कहने।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .नव वर्ष २०१४ की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ......
ReplyDeleteबेहद की उत्कृष्ट प्रासंगिक व्यंग्य रचना
ReplyDeleteमिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार-
चली मिटाने सब्सिडी, भ्रष्टाचारी कोढ़ ।
माल मुफ्त में काट के, घी पी कम्बल ओढ़ ।।
पाक चाहता आप की, सेंटर में सरकार ।
मिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार॥
तोड़ी झुग्गी झोपड़ी, खोदे बड़े पहाड़ ।
घूम चुकी है खोपड़ी, फिर भी रहा दहाड़ ॥
दक्षिण-पंथी घूरते, हर्षित दीखे वाम ।
कांग्रेसी संतुष्ट हैं, देख आप का काम ॥
बहुत बहुत शुभकामना, बना रहे ईमान ।
कर मुस्लिम से दोस्ती, हिन्दू का भी ध्यान ॥