बहुत खूब एक पूरा सफर ज़िंदगी का चंद लफ़्ज़ों में
एक कटु सत्य की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
वाह :)
आज की हकीकत को बेनकाब करती कड़वी सच्चाई ,सादरमईया गई बुढ़ाय हुआ घनघोर अँधेराकह रविकर कविराज हुआ घर भूत का डेराबड़का ग पगलाय छोटका देता है गलीअपने ही घर में भईया अब होता नही सबेरा
अठखेलियों भरा छंद ...
वाह, बहुत ख़ूब...सुंदर अभिव्यक्ति...
मैया गई बुढाय तो बस हुई फालतूकौन रखेगा माँ को इस पर मै मै तू तू।
कटु सत्य...
बहुत सुंदर रचना.
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
बहुत खूब एक पूरा सफर ज़िंदगी का चंद लफ़्ज़ों में
ReplyDeleteएक कटु सत्य की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteवाह :)
ReplyDeleteआज की हकीकत को बेनकाब करती कड़वी सच्चाई ,सादर
ReplyDeleteमईया गई बुढ़ाय हुआ घनघोर अँधेरा
कह रविकर कविराज हुआ घर भूत का डेरा
बड़का ग पगलाय छोटका देता है गली
अपने ही घर में भईया अब होता नही सबेरा
अठखेलियों भरा छंद ...
ReplyDeleteवाह, बहुत ख़ूब...सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteमैया गई बुढाय तो बस हुई फालतू
ReplyDeleteकौन रखेगा माँ को इस पर मै मै तू तू।
कटु सत्य...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
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