अगर वेद ना पढ़ सके, कर ले 'रविकर' जाप ।
व्यक्ति-वेदना पढ़ मगर, हर उसका संताप ।।
रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |
हो गलती का लती जो, खायेगा वह लात |
पछताये हालात पर, समझ जाय औकात ||
राजनीति जब वोट की, अपने अपने स्वार्थ |
तब चिंता क्या खोट की, सम्मोहित तब पार्थ ||
बेलन ताने नारि तो, चादर तानें लोग |
ताने मारे किन्तु जब, टले कहाँ दुर्योग ||
ताने मारे किन्तु जब, टले कहाँ दुर्योग ||
जीवन की संजीवनी, हो हौंसला अदम्य |
दूर-दृष्टि, प्रभु कृपा से, पाए लक्ष्य अगम्य ॥
धर्म होय हठधर्म जब, कर्म होय दुष्कर्म |
शर्म होय बेशर्म तब, भेदे नाजुक मर्म ||
ओवर-कॉन्फिडेंट हैं, इस जग के सब मूढ़ |
विज्ञ दिखे शंकाग्रसित, यही समस्या गूढ़ ||
ओवर-कॉन्फिडेंट हैं, इस जग के सब मूढ़ |
विज्ञ दिखे शंकाग्रसित, यही समस्या गूढ़ ||
बढ़ जाए खुबसुरती, गर थोड़ा मुस्काय |
फिर भी जाने लोग क्यूँ, लेते गाल फुलाय ||
फिर भी जाने लोग क्यूँ, लेते गाल फुलाय ||
वहम अहम से सहम हम, बचते हैं दिन-रात |
लेकिन प्रभु के रहम बिन, खा जाते हैं मात ||
अगर वेद ना पढ़ सको, पढ़ो वेदना नित्य ।
कैसे हो मानव सुखी, करो वही फिर कृत्य ||
वहम-अहम अतिशय विकट, सहम जाय इन्सान |
गहमागहमी में रहम, करना हे भगवान ||
अहं नहीं स्वीकारता, स्वार्थ बनाये झूठ |
प्रगट करे न भय कभी, सच सच कह मत रूठ ||
भोजन पैसा सुख अगर, नहीं पचाये जाँय |
चर्बी मद क्रमश: बढ़ें, पाप देह को खाँय ||
लेकिन प्रभु के रहम बिन, खा जाते हैं मात ||
अगर वेद ना पढ़ सको, पढ़ो वेदना नित्य ।
कैसे हो मानव सुखी, करो वही फिर कृत्य ||
वहम-अहम अतिशय विकट, सहम जाय इन्सान |
गहमागहमी में रहम, करना हे भगवान ||
अहं नहीं स्वीकारता, स्वार्थ बनाये झूठ |
प्रगट करे न भय कभी, सच सच कह मत रूठ ||
भोजन पैसा सुख अगर, नहीं पचाये जाँय |
चर्बी मद क्रमश: बढ़ें, पाप देह को खाँय ||
व्यस्त आजकल हूँ बहुत, कहते जो नर-नार |
अस्त-व्यस्त वे वस्तुत:, यही कहे का सार ||
घडी-साज अतिशय कुशल, देता घडी सुधार |
बिगड़ी जब उसकी घडी, नहीं पा सका पार ||
अच्छे दोहे हैं।
ReplyDeleteबहुत सार गर्भित दोहे |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहावली।
ReplyDelete--
प्रतिदिन लिखिए। आप प्रतिभावान हैं।
वाह ! बहुत सुन्दर दोहावली।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहो गलती का लती जो, खायेगा वह लात |
ReplyDeleteपछताये हालात पर, समझ जाय औकात ||
एक एक दोहा सटीक।