01 June, 2015

व्यक्ति-वेदना पढ़ मगर, हर उसका संताप

अगर वेद ना पढ़ सके, कर ले 'रविकर' जाप । 
व्यक्ति-वेदना पढ़ मगर,  हर उसका संताप ।। 
रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |

हो गलती का लती जो, खायेगा वह लात |
पछताये हालात पर, समझ जाय औकात ||

राजनीति जब वोट की, अपने अपने स्वार्थ |
तब चिंता क्या खोट की, सम्मोहित तब पार्थ ||

बेलन ताने नारि तो, चादर तानें लोग |
ताने मारे किन्तु जब, टले  कहाँ दुर्योग ||

जीवन की संजीवनी, हो हौंसला अदम्य |
दूर-दृष्टि, प्रभु कृपा से, पाए लक्ष्य अगम्य ॥ 

धर्म होय हठधर्म जब, कर्म होय दुष्कर्म |
शर्म होय बेशर्म तब, भेदे नाजुक मर्म ||

ओवर-कॉन्फिडेंट हैं, इस जग के सब मूढ़ |

विज्ञ दिखे शंकाग्रसित, यही समस्या गूढ़ || 

बढ़ जाए खुबसुरती, गर थोड़ा मुस्काय |
फिर भी जाने लोग क्यूँ, लेते गाल फुलाय ||  

वहम अहम से सहम हम, बचते हैं दिन-रात |
लेकिन प्रभु के रहम बिन, खा जाते हैं मात ||

अगर वेद ना पढ़ सको, पढ़ो वेदना नित्य । 
कैसे हो मानव सुखी, करो वही फिर कृत्य ||

वहम-अहम अतिशय विकट, सहम जाय इन्सान |
गहमागहमी में रहम, करना हे भगवान ||

अहं नहीं स्वीकारता, स्वार्थ बनाये झूठ |

प्रगट करे न भय कभी, सच सच कह मत रूठ || 

भोजन पैसा सुख अगर, नहीं पचाये जाँय |
चर्बी मद क्रमश: बढ़ें, पाप देह को खाँय ||

व्यस्त आजकल हूँ बहुत, कहते जो नर-नार |
अस्त-व्यस्त वे वस्तुत:, यही कहे का सार ||

घडी-साज अतिशय कुशल, देता घडी सुधार |
 बिगड़ी जब उसकी घडी, नहीं पा सका पार ||

6 comments:

  1. बहुत सार गर्भित दोहे |

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  2. बहुत सुन्दर दोहावली।
    --
    प्रतिदिन लिखिए। आप प्रतिभावान हैं।

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  3. वाह ! बहुत सुन्दर दोहावली।
    हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार

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  4. बहुत सुन्दर

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  5. हो गलती का लती जो, खायेगा वह लात |
    पछताये हालात पर, समझ जाय औकात ||

    एक एक दोहा सटीक।

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