12 May, 2015

एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात

रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |

दूजे पे औकात, मची है खींचा तानी |
मनु मनई की जात, ख्वाहिशें हुई सयानी |

मथे मथानी मध्य, बनाये जीवन लस्सी |
किन्तु मिले ना स्वाद, होय ना ढीली रस्सी || 

5 comments:

  1. सच कहा तने तने हालात ही हैं जिंदगी के और ख्वाहिशें.....................।

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  2. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई

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  3. "रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
    एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |
    बहुत ही संवेदनशील अभिव्यक्ति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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