10 July, 2016

कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के कुछ गाने गा लेता

(1)
यादों का साथ अकेला पा, गम-सरगम सरस बना लेता ।
कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के कुछ गाने गा लेता -
खुशियाँ कुछ चुन-चुन रख लेता, कुछ हँस लेता शरमा लेता 
तू रहे स्वस्थ खुशहाल सदा, मैं भी कुछ प्रतिफल पा लेता ।।

(2)
नींद उड़ाने वाले सुन ले, हो जाये बदनाम कहीं ना ।
पिंड छुडाने वाले सुन ले, होवे काम-तमाम कहीं ना ।
तूने क्यों खालीपन छोड़ा, भूल गई क्यों कसमे-वादे
वापस आ जा सिर सहला जा, मिलता है आराम नहीं ना।।

(3)
धोबी माली ठेले-वाला, ड्राइवर हॉकर मेले-वाला 
मिश्री-डली घोल के बोली, जैसे हो पहचान पुरानी ।
रंग-रूप यौवन सब धोखा, ढलते ढलते छल जाएगा-
एक बार मुझसे भी बोलो, मिश्री सी यह मीठी बानी ।।

(4)
पेड़ कटे तालाब पटे जब, जंगल से सटते जाते |
कंक्रीटी दीवारों में अब, पल पल हम पटते जाते |
आबादी का बोझ नही जब, सह पाती छोटी सड़कें -
कुर्बानी पेड़ों की होती, बार बार कटते जाते ||

2 comments:

  1. वाह ... मजा आ गया इन मुक्तक का ... हर बार दिल से वाह वाह निकल जाता है ...

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