17 August, 2016

प्रासंगिक यह रक्षाबंधन

गहन हनन हक बहन का, हरते हटकि हनूस |
भ्रूण बचे तो भी मरे, मुँह में कपड़ा ठूस |
डरा डरा रहता है तन-मन |
प्रासंगिक यह रक्षाबंधन ||

बीज उगा रोपा गया, जब पक जाये धान |
छिलका छिलका अलग कर, फिर से बदले स्थान |
नही सुने कोई भी क्रंदन |
प्रासंगिक यह रक्षाबंधन |

छोटे को लेकर चढ़े, चाहे उच्च-पहाड़ |
वही बड़ा जब हो गया, रहा शत्रुवत ताड़ |
हो जाती उनमे क्यूँ अनबन |
प्रासंगिक यह रक्षाबंधन ||

रत्नजटित हो राखियाँ, या हो कच्चा सूत |
सदा मान भाई रखे, बिखरे पड़े सुबूत |
नहीं करे रविकर उल्लंघन |
प्रासंगिक यह रक्षाबंधन ||

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