05 September, 2016

रविकर के दोहे

जो बापू के चित्र के, पीछे रही लुकाय।
वही छिपकली रात में, जी भर जीव चबाय ।।

बेवकूफ बुजदिल सही, सही हमेशा पीर।
किन्तु रहा रिश्ता निभा, दिल का बड़ा अमीर।।

माटी का पुतला मनुज, माटी में मिल जाय।
पर पत्थर की प्रियतमा, नहीं सिकन तक आय।।

केले सा जीवन जियो, बनना नहीं बबूल |
नीति-नियम प्रतिबंध कुल, दिल से करो क़ुबूल ||

मुदित-मुदिर मुद्रा मटक, मुद्रा रही कमाय । 
जिला रही नश्वर-बदन, जिला-जवाँर घुमाय ।|

झूठे दो-दो चोंच कर, लड़ें चोंचलेबाज |
एक साथ फिर बैठते, करे परस्पर खाज ||

2 comments:

  1. सभी दोहे प्रहार करते हुए..ख़ास कर यह..


    जो बापू के चित्र के, पीछे रही लुकाय।
    वही छिपकली रात में, जी भर जीव चबाय ।।

    ReplyDelete