04 September, 2016

भली करेंगे राम, भाग्य की चाभी थामे


(1)
माने मूरख स्वयं को, यदि मूरख इंसान। 
निश्चय ही वह बन सके, मूरख से विद्वान्। 
मूरख से विद्वान्, सुनी हैं कई कथाएं।
लेकिन यदि विद्वान्, स्वयं को विज्ञ बताएं।
कह रविकर विद्वान, उक्ति कह गये सयाने।
बन सकता वह मूर्ख, बदल फिर जाए माने।।

(2)
ताले की दो कुंजिका, कर्म भाग्य दो नाम।
मानव तू तो कर्म कर, भली करेंगे राम।
भली करेंगे राम, भाग्य की चाभी थामे।
रिद्धि सिद्धि समृद्धि, तिजोरी तेरे नामे।
रविकर तू तो खोल, कहाँ प्रभु रुकने वाले।
मिले कर्म से भाग्य, कुंजिका खोले ताले।।

1 comment: