14 June, 2017

कल से बेहतर कल करूँ, कोशिश नेक अनेक



जब गठिया पीड़ित पिता, जाते औषधि हेतु।
डॉगी को टहला रहा, तब सुत गाँधी सेतु।।

समझौते करके रखा, दुनिया को खुशहाल।
मैं भी सबसे खुश रहा, सबकी त्रुटियाँ टाल।।

अच्छी आदत वक्त की, करता नहीं प्रलाप।
अच्छा हो चाहे बुरा, गुजर जाय चुपचाप।।

लक्ष्मण खींचे रेख क्यों, क्यों जटायु तकरार।
बुरा-भला खुद सोच के, नारि करे व्यवहार।।

3 comments:

  1. हमेशा की तरह लाजवाब।

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. लक्ष्मण खींचे रेख क्यों, क्यों जटायु तकरार।
    बुरा-भला खुद सोच के, नारि करे व्यवहार।।

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ !,हृदय को स्पर्श करती आभार। "एकलव्य "

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