अपेक्षा मत किसी से रख, किसी की मत उपेक्षा कर ।
सरलतम मंत्र खुशियों का, खुशी से नित्य झोली भर।
समय अहसास बदले ना, बदलना मत नजरिया तुम
वही रिश्ते वही रास्ता वही हम सत्य शिव सुंदर।।
आलेख हित पड़ने लगे दुर्भाग्य से जब शब्द कम।
श्रुतिलेख हम लिखने लगे, नि:शब्द होकर के सनम।
तुम सामने मनभर सुना, दिल की सुने बिन चल गयीं
हम ताकते ही रह गये, अतिरेक भावों की कसम।।
अकेले बोल सकते हो मगर वार्त्ता नहीं मुमकिन।
अकेले खुश रहे लेकिन मना उत्सव कहाँ तुम बिन।
दिखी मुस्कान मुखड़े पर मगर उल्लास गायब है
तभी तो एक दूजे की जरूरत पड़ रही हरदिन।।
बड़ी तकलीफ़ से श्रम से, रुपैया हम कमाते हैं ।
उसी धन की हिफाज़त हित बड़ी जहमत उठाते हैं।
कमाई खर्चने में भी, निकलती जान जब रविकर
कहो फिर जिंदगी को क्यों कमाने में खपाते हैं।।
मनाओ मूर्ख अधिकारी, अधिक सम्मान दे करके।
अगर लोभी प्रशासक है, मनाओ दान दे करके।
प्रशासक क्रूर यदि मिलता, नमन करके मना लेना।
मगर विद्वान अफसर को, हकीकत सब बता देना।।
बहुत सुंदर अभव्यक्ति।
ReplyDeletesundar prastuti
ReplyDeletebehtreen lekhan...badhai
मनाओ मूर्ख अधिकारी, अधिक सम्मान दे करके।
ReplyDeleteअगर लोभी प्रशासक है, मनाओ दान दे करके।
प्रशासक क्रूर यदि मिलता, नमन करके मना लेना।
मगर विद्वान अफसर को, हकीकत सब बता देना।।
आज के समय मे सटीक मंत्र है