है भविष्य कपटी बड़ा, दे आश्वासन मात्र।
वर्तमान से सुख तभी, करते प्राप्त सुपात्र।।
मक्खन या चूना लगा, बोलो झूठ सफेद।
यही सफलता मंत्र है, हर सफेद में भेद।
चढ़े बदन पर जब मदन, बुद्धि भ्रष्ट हो जाय।
खजुराहो को देखते, चित्रकूट पगलाय।।
समय सुनाता फैसला, हर गवाह जब मौन।
सजा मिली थी देह को, गया गया फिर कौन।
मक्खन या चूना लगा, बोलो झूठ सफेद।
ReplyDeleteयही सफलता मंत्र है, हर सफेद में भेद।
वाह।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-11-2017) को चढ़े बदन पर जब मदन, बुद्धि भ्रष्ट हो जाय ; चर्चामंच 2782 पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'