11 December, 2017

जिन्हें थी जिंदगी प्यारी, बदल पुरखे जिए रविकर-

(1)
विदेशी आक्रमणकारी बड़े निष्ठुर बड़े बर्बर |
पराजित शत्रु की जोरू-जमीं-जर छीन लें अकसर |
कराओ सिर कलम अपना, पढ़ो तुम अन्यथा कलमा  
जिन्हें थी जिंदगी प्यारी, बदल पुरखे जिए रविकर ||

(2)
उमर मत पूछ औरत की, बुरा वह मान जायेगी।
मरद की आय मत पूछो, उसे ना बात भायेगी।
फिदाइन यदि मरे मारे, मियाँ तुम मौन रह जाना।
धरम यदि पूछ बैठे तो, सियासत जान खायेगी।।

(3)
मदर सा पाठ लाइफ का पढ़ाता है सिखाता है।
खुदा का नेक बन्दा बन खुशी के गीत गाता है।
रहे वह शान्ति से मिलजुल, करे ईमान की बातें
मगर फिर कौन हूरों का, उसे सपना दिखाता है।।

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