करके परीक्षण भ्रूण-हत्या कर रहे जो नर अभी।
वे पुत्रवधु के हाथ से पानी न पायेंगे कभी।
कोई कहीं दुर्गा अगर, अब देश में रविकर मरी
तो पाप का परिणाम दुष्कर, दंड भोगेंगे सभी ।
मजबूर होकर पाठशाला छोड़ती यदि शारदा।
करना सुनिश्चित नारि-शिक्षा हाथ में लेकर गदा।
लक्ष्मी कभी क्यों खर्च माँगे, सुत पिता पति भ्रात से
उपलब्ध उसको भी रहे, घरबार दौलत सम्पदा।।
क्यों कुंड में कोई उमा, बाजी लगाये जान की।
क्यों अग्नि लेती है परीक्षा, जानकी के मान की।
काली बने अब कालिका, संहार दुर्जन का करे।
नवरात्रि की पूजा तभी होगी सफल इन्सान की।।
भयंकर युद्ध के परिणाम का दुख द्रौपदी झेली।
हुई कृशकाय वृद्धा सी, रही जो नारि अलबेली।
शिविर में कृष्ण ज्यों आये विलख कर पूछ बैठी वह
कहो क्यों कोप विधना ने किया क्यों खेल यह खेली।।
हुई कृशकाय वृद्धा सी, रही जो नारि अलबेली।
शिविर में कृष्ण ज्यों आये विलख कर पूछ बैठी वह
कहो क्यों कोप विधना ने किया क्यों खेल यह खेली।।
कृष्ण उवाच
सखी क्यों कर्ण को तुमने स्वयंवर से भगाया था।
स्वयंवर जीतकर अर्जुन बुआ के पास लाया था।
बनी क्यों पाँच की पत्नी, मना क्यों कर नहीं पाई-
हँसी खुदपर नहीं आई, सुयोधन पर हँसी आई।।
स्वयंवर जीतकर अर्जुन बुआ के पास लाया था।
बनी क्यों पाँच की पत्नी, मना क्यों कर नहीं पाई-
हँसी खुदपर नहीं आई, सुयोधन पर हँसी आई।।
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