बिसारिके किधर गए ?
उधर गए या घर गए ?
दोस्ती का दम भरा, तो पास हो तनिक जरा .
हर्ष में विषाद में, मित्र हैं धन-बाद में .
सामने कदम बढ़ा, संग में तो हो खड़ा
याद में जो भर गए,बिसारिके किधर गए ?
जीत है न हार है , हौंसला अपार है
होश औ हवाश क्या, आपकी तो बात क्या ?
उड़ गए औ लुट गए, आप से ही जुट गए -
रोम-रोम भर गए, बिसारिके किधर गए ?
जिंदगी में हो सफल, हर्ष के खिले कमल
प्यार हो अपार हो, श्रेष्ठतम-श्रृंगार हो
चाह पूरी हो सदा, राह सीधी सर्वदा
दुआ हम तो कर गए,बिसारिके किधर गए ?
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