24 March, 2011

v सारिके किधर गए ?

बिसारिके किधर गए ?
 उधर गए या घर गए ?

दोस्ती का दम भरा, तो पास हो तनिक जरा .
हर्ष में विषाद में, मित्र हैं धन-बाद  में .
सामने कदम बढ़ा, संग में तो हो खड़ा 
याद में जो भर गए,बिसारिके किधर गए ?

जीत है न हार है , हौंसला अपार है 
होश औ हवाश क्या, आपकी तो बात क्या ?
उड़ गए औ लुट गए, आप से ही जुट गए -
रोम-रोम भर गए, बिसारिके किधर गए ?

जिंदगी में हो सफल, हर्ष के खिले कमल 
प्यार हो अपार हो, श्रेष्ठतम-श्रृंगार हो
चाह पूरी हो सदा, राह सीधी सर्वदा
दुआ हम तो कर गए,बिसारिके किधर गए ?

No comments:

Post a Comment