निज अंतर में उन्माद लिए फिरते हैं
उन्मादों में अवसाद लिए फिरते हैं
अंदर ही अन्दर झुलस रही है चाहें
मनमे अतीत की याद लिए फिरते है
बेकस का कोमल हृदय जला करता है
निशदिन उनका कृष-गात धुला करता है
दुखों की नाव बनाये नाविक -
दुर्दिन सागर पर किया करता है
औसत से दुगुना भार लिए फिरते हैं
संग में कितनों का प्यार लिए फिरते हैं
यदि किसी भिखारी ने उनसे कुछ माँगा
भाषण का शिष्ट -आचार लिए फिरते हैं
जो सुरा-सुंदरी पान किया करते हैं
'कल्याण' 'सोमरस' नाम दिया करते हैं
चाहे कितना भी चीखे-चिल्लाये जनता
वे कुर्सी-कृष्ण का ध्यान किया करते हैं
उन्मादों में अवसाद लिए फिरते हैं
अंदर ही अन्दर झुलस रही है चाहें
मनमे अतीत की याद लिए फिरते है
बेकस का कोमल हृदय जला करता है
निशदिन उनका कृष-गात धुला करता है
दुखों की नाव बनाये नाविक -
दुर्दिन सागर पर किया करता है
औसत से दुगुना भार लिए फिरते हैं
संग में कितनों का प्यार लिए फिरते हैं
यदि किसी भिखारी ने उनसे कुछ माँगा
भाषण का शिष्ट -आचार लिए फिरते हैं
जो सुरा-सुंदरी पान किया करते हैं
'कल्याण' 'सोमरस' नाम दिया करते हैं
चाहे कितना भी चीखे-चिल्लाये जनता
वे कुर्सी-कृष्ण का ध्यान किया करते हैं
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