गल्तियों पर कसम खाता गिड़गिडाता--
किन्तु बीबी जब डपटती डूब मरिये
हौज में पानी भला किस हेतु भरिये ?
आठ घंटे चाकरी में जा बिताया,
चार घंटे रोज बच्चों को पढाया---
खेल नियमित शाम को संगमें खिलाया,
बागवानी का नया जो शौक आया
एक घंटे पौध में, पानी पटाया,
तुम पटी फिर भी नहीं, तो - की करिए ?
कैंचियों का है ज़माना खुब कतरिये |
प्रभुने किये उपकार हमपर यूँ बड़े,
हैं आज बच्चे पैर पर अपने खड़े --
लक्ष्य भेदा, बन चुके वे लाडले,
मौजूदगी मेरी इधर, घर में खले
पककर कढ़ाई से गिरे, चूल्हे पड़े,
भून करके कह रही कि जल मरिए |
ढल चुकी है शाम, 'रविकर' चल-चलिए |
बेगम ने सुन ली फ़रियाद या नहीं ...
ReplyDeleteसहानुभूति के दो शब्द, बेहद भले लगे,
ReplyDeleteये ऐसा मसला है, जो जरा लम्बा चले----
दर-असल
कल
जटा जूटधारी नारियल
मिला था प्रसाद में --
उसे तोड़ने का आदेश मिला था
'लंच' करने के तुरंत बाद में---
मै छीलने का औजार लेकर बैठ पाया ही था
कि वो छीनी नारियल. झपट्टामार----
की हुंकार ---
सुनील बाबू तो पटककर तोड़ देते है
आपको चाहिए छुरी काँटा जैसे औजार ---
मैंने प्रतिक्रिया की--
दूसरे की लौनिया हमेशा क्यों देती हो ?
मत ताने मार--
बस फिर क्या ??--
बहस बढ़ गई
और कविता गढ़ गई
पर जानता हूँ---
कद्दू गिरे चाक़ू पर या चाक़ू कद्दू पर
कद्दू को ही कटना है----
जो अब तक न पटी, तो क्या पटना है ??
दिनेश जी , पत्नियाँ इतनी भी बुरी नहीं होती जैसा चित्र आपने खींचा है । फिर भी एक उपाय बताती हूँ....अपने दिल की suनिए...वही कीजिये जो मन कहता है, कुछ दिनों में श्रीमती जी भी ताने मारना बंद कर देंगी।
ReplyDeleteअरे भाई!
ReplyDeleteमैंने बुरा कहाँ कहा है ?
वो तो मेरे प्यारे-प्यारे तीन बच्चों की माँ है.
घर का सारा काम शुरू से ही वो करती रही हैं.
उनकी अच्छाइयों के चर्चे पूरी सोसाइटी में हैं .
सोसाइटी में मेरी पत्नी के चार बच्चे गिने जाते हैं मुझे मिलकर.
बेटा TCIL, (PSU) नई दिल्ली (aajkal aabudhabi) में इंजीनियर है.
बड़ी बेटी TCSL में, और छोटी झाँसी में B TECH कर रही है .
शुरू से ही पत्नी डांटने-फटकारने का काम करती थी
और मैं पढ़ाने एवं खेल कराने का,
वो अपनी आदत की मुझपर प्रेक्टिस करती है
और मै अपनी आदत, पड़ोस के बच्चों पर.
सोचता हूँ की घर में एक कुत्ता पाल लूँ ----
सारी डांट खाने से बच जाऊँगा,
घर में कोई तीसरा तो होगा .
meet my SON At
ReplyDeletehttp://kushkikritiyan.blogspot.com/
.
ReplyDeletehaha...not a bad idea of having a pet....lol
Visited your Son's blog also.
.
good , GOD bless you.
ReplyDelete:):) मैं इसे केवल हास्य रूप में ही ले रही हूँ :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हास्य्…………:):):)
ReplyDeleteयह हास्य ही हो सकता है...:))
ReplyDeleteजिंदगी रविकर की हो, बा-सुकून. बा-चैन
तभी खिलखिलाता कलम, औ मुस्काए नैन”
सादर बधाई...