(1)
सहते गम भटके हम
थकते पैर
ढेरै - देर
करते सैर
हुई कुबेर ||
भूले गम
लौटे हम
मिटते भ्रम
आँखे नम
देखे कम
तेरे सम ||
भूलो बैर
पूछो खैर
अपने तुम
क्यूँ गुमसुम
आगे औरदिल न तोड़ ||
बदले दौर
करिए गौर
बारम्बार
वो कुविचार
मन का मैल
कोल्हू बैल
वो सन्ताप
अब चुपचाप
दिल कर साफ
कर दे माफ़ ||
(2)
(2)
दो दिन से पुरजोर है, झारखण्ड में बारिश |
तूफानी अंदाज हैं , करिए जरा सिफारिस |
करिए जरा सिफारिस , बेगम को आना है -
अर्ध-रात्रि के बाद, अभी स्टेशन जाना है |
पर रविकर घबरात, नहीं वो इस बारिश से-
हुए अगरचे लेट , डरे बेगम के रिस से ||
( आज १८-१९ जून की रात 2 से 4 धनबाद R. S. पर था )
छोटे-छोटे शब्द गहरी बातें ,बहुत बढ़िया
ReplyDeleteहाँ ||
ReplyDeleteबड़े दिनों से अतुकांत रचनाओं
की खूबसूरती निहार रहा था रविकर||
आज पता नहीं कैसे --
उसने अनजानी पुरानी गलती की
माफ़ी मांग ली ||
गहन अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteआपकी कवितायें बिलकुल हटकर होती हैं।
ReplyDeleteसहते गम
ReplyDeleteभटके हम
beautiful poem
Sorry that the link got some formatting problem so it did not work.
Here is the link
Know the Indian Legal History – Part One - – East India Company Year 1600
>know Indian legal History part One
@ आपकी कवितायें बिलकुल हटकर होती हैं।
ReplyDeleteअपना क्या है--
वे-गम और बे-गम का हाथ है --
कभी पीठ पर कभी माथे पर
बहुत बहुत आभार ||