18 June, 2011

गुलाबी-पाती

             (1)
सहते गम 
भटके हम 
थकते पैर
ढेरै -  देर
करते सैर 
हुई कुबेर ||

भूले गम 
लौटे हम  
मिटते भ्रम 
आँखे नम  
देखे  कम
तेरे सम ||

भूलो बैर 
पूछो खैर 
अपने तुम 
क्यूँ गुमसुम
आगे और
दिल न तोड़ ||

बदले दौर
करिए गौर 
बारम्बार
वो कुविचार 
मन का मैल
कोल्हू बैल 
वो सन्ताप
अब चुपचाप 
दिल कर साफ
कर दे माफ़  || 
                           (2) 
दो  दिन  से  पुरजोर  है,  झारखण्ड में बारिश | 
तूफानी अंदाज हैं , करिए जरा सिफारिस |
करिए जरा सिफारिस , बेगम को आना है -
अर्ध-रात्रि  के बाद, अभी  स्टेशन  जाना है |
पर  रविकर घबरात, नहीं  वो  इस बारिश से-
हुए  अगरचे   लेट ,   डरे  बेगम के रिस से ||
               ( आज १८-१९ जून की  रात 2 से 4 धनबाद R. S. पर था )


6 comments:

  1. छोटे-छोटे शब्द गहरी बातें ,बहुत बढ़िया

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  2. हाँ ||
    बड़े दिनों से अतुकांत रचनाओं
    की खूबसूरती निहार रहा था रविकर||
    आज पता नहीं कैसे --
    उसने अनजानी पुरानी गलती की
    माफ़ी मांग ली ||

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  3. आपकी कवितायें बिलकुल हटकर होती हैं।

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  4. सहते गम
    भटके हम
    beautiful poem
    Sorry that the link got some formatting problem so it did not work.
    Here is the link
    Know the Indian Legal History – Part One - – East India Company Year 1600
    >know Indian legal History part One

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  5. @ आपकी कवितायें बिलकुल हटकर होती हैं।
    अपना क्या है--
    वे-गम और बे-गम का हाथ है --
    कभी पीठ पर कभी माथे पर
    बहुत बहुत आभार ||

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