06 June, 2011

मोल चुका देने में, नुकसान नहीं प्यारे

ये   जिन्दगी  इतनी  आसान  नहीं  प्यारे |
गैर तो गैर अपने भी मेहरबान  नहीं  प्यारे ||

वे  रिश्ते जब  अपनी  कीमत तय कर ले |                           
मोल चुका देने में,  नुकसान  नहीं  प्यारे ||
                                      
अक्सरहां लोग बात करते हैं उसूलों  की |
टूट जाने से जिनके, परेशान नहीं प्यारे ||
                          
जरुरत   पर  तुरतै,  गुर्दा   दिया  निकाल |
जिगर में किन्तु उनके, एहसान नहीं प्यारे ||
                            
कमोवेश   एक   जैसा    हाल   है   कागा---
कोयल की चाल का निदान नहीं प्यारे ||

गुम-सुम सा आज, गांव का बरगद अपना |
पीपल पेड़  का बाकी   निशान  नहीं प्यारे  ||

8 comments:

  1. जरुरत पर तुरतै, गुर्दा दिया निकाल |
    जिगर में किन्तु उनके, एहसान नहीं प्यारे
    सही अभिव्यक्ति.रविकार जी बधाई....

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  2. आभार
    शालिनी जी

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  3. खूबसूरत गज़ल .

    फौलोअर्स का गेजेट लगाइए ..नहीं तो पाठकों का पहुंचना मुश्किल होगा ..

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  4. आभार
    संगीता स्वरुप जी

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  5. "फौलोअर्स का गेजेट"
    के लिए क्या प्रोसेस है कृपया जानकारी दें|

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  6. गुम-सुम सा आज, गांव का बरगद अपना |
    पीपल पेड़ का बाकी निशान नहीं प्यारे ...

    गाँव उजड़ रहे हैं। हरियाली कम हो रही है और उसी के साथ खुशहाली भी।

    .

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  7. @ गाँव उजड़ रहे हैं।
    हरियाली कम हो रही है और
    उसी के साथ खुशहाली भी
    चिंतन का विषय है |
    आभार

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  8. गुम-सुम सा आज, गांव का बरगद अपना |
    पीपल पेड़ का बाकी निशान नहीं प्यारे ||
    kitni sunderta se aapne aapni baat kahi hai.
    sabhi sher khubsurat hain
    rachana

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