पूजा खातिर चाहिए सवा रुपैया फ़क्त |
हुई चवन्नी बंद तो खफा हो गए भक्त ||
कम से कम अब पांच ठौ, रूपया पावैं पण्डे |
पड़ा चवन्नी छाप का, नया नाम बरबंडे ||
बहुतै खुश होते भये, सभी नए भगवान् |
चार गुना तुरतै हुआ, आम जनों का दान ||
मठ-मजार के नगर में, भर-भर बोरा-खोर |
भ'टक साल में भेजते, सिक्के सभी बटोर || |
भ'टक-साल सिक्का गलत, मिटता वो इतिहास |
जो काका के स्नेह सा, रहा कलेजे पास ||
अन्ना के विस्तार को, रोकी ये सरकार |
चार-अन्ने को लुप्त कर, जड़ी भितरिहा मार ||
बड़े नोट सब बंद हों, कालेधन के मूल |
मठाधीश होते खफा, तुरत गयो दम-फूल ||
महाप्रभु के कोष में, बस हजार के नोट |
सोना चांदी-सिल्लियाँ, रखें नोट कस छोट ||
बिधि-बिधाता जान लो, होइहै कष्ट अपार |
ट्रक- ट्रैक्टर से ही बचे, गर झूली सरकार ||
हुई चवन्नी बंद तो खफा हो गए भक्त ||
कम से कम अब पांच ठौ, रूपया पावैं पण्डे |
पड़ा चवन्नी छाप का, नया नाम बरबंडे ||
बहुतै खुश होते भये, सभी नए भगवान् |
चार गुना तुरतै हुआ, आम जनों का दान ||
मठ-मजार के नगर में, भर-भर बोरा-खोर |
भ'टक साल में भेजते, सिक्के सभी बटोर || |
भ'टक-साल सिक्का गलत, मिटता वो इतिहास |
जो काका के स्नेह सा, रहा कलेजे पास ||
अन्ना के विस्तार को, रोकी ये सरकार |
चार-अन्ने को लुप्त कर, जड़ी भितरिहा मार ||
बड़े नोट सब बंद हों, कालेधन के मूल |
मठाधीश होते खफा, तुरत गयो दम-फूल ||
महाप्रभु के कोष में, बस हजार के नोट |
सोना चांदी-सिल्लियाँ, रखें नोट कस छोट ||
बिधि-बिधाता जान लो, होइहै कष्ट अपार |
ट्रक- ट्रैक्टर से ही बचे, गर झूली सरकार ||
पूजा खातिर चाहिए सवा रुपैया सख्त |
ReplyDeleteहुई चवन्नी बंद तो खफा हो गए भक्त ||
सही कहा रवि जी साथ ही दिक्कत आ गयी उन्हें जिन्होंने रखे थे चव्वानी के भर कर बोरे बंद.
पाँच रुपैया न्यूनतम पायं शर्तिया पण्डे |
ReplyDeleteपाय चवन्नी छाप खुश, नये मोल बरबंडे ||
सबसे ज्यादा फ़ायदा पंडों को ही होगा .बढ़िया व्यंग्य .सार्थक पोस्ट .आभार
किस-किस की तारीफ़ करूँ सारे दोहे एक से बढ़कर एक
ReplyDeleteबहुत सुंदर, क्या बात है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर, क्या बात है।
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