टिप्पणियों का नहीं मोहताज लेखक,
ब्लॉग ने लेकिन बनाया क्या करें ?
दाद पाने की फितरतें मंच की --
वो नहीं ही, भूल पाया क्या करें ||
इरसाद औ इकरार ने रोशन किया
हर मर्तवा इसको सजाया क्या करें |
है फलां के सौ हमारे पाँच ही --
राम को कौरव बनाया क्या करें |
वो इधर आयें न आयें मेहरबां--
टिप्पणी बेढब लगाया क्या करें ||
आँख को हर चीज सुन्दर लग रही--
आभार बस हमने जताया क्या करें ||
आज मैं सहमत नहीं हूँ।
ReplyDeleteसार्थक टिप्पणी लेखक को प्रोत्साहन देती हैं, लेकिन टिप्पणी ही सब कुछ नहीं. अगर आप को लेखन से आत्मसंतुष्टी मिलती है तो लेखन के लिये यही काफी है..
ReplyDeleteदाद पाने की फितरतें मंच की --
ReplyDeleteवो नहीं ही, भूल पाया क्या करें ||
sach likha hai .aabhar
Ye bhee khoob kahee!
ReplyDeleteकैलाश जी से सहमत हूँ ....लेखन से आत्मसंतुष्टि मिलनी चाहिये !
ReplyDeleteआपकी यह रचना ---
ReplyDeleteट्रक- ट्रैक्टर से ही बचे, झूल रही सरकार |
from "कुछ कहना है" by रविकर
मैंने यहाँ आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
बटुए में , सपनों की रानी ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
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लगायी थी ...पर आपने लगता है डिलीट कर दी