जाइये अब चले जाइए,
एक बार फिर खले जाइए |
शाकाहारी हैं तो क्या ?
कलेजा है, तले जाइए |
कलेजा है, तले जाइए |
महफ़िल छोड़कर चले,
जल रहे दिलजले जाइए |
जल रहे दिलजले जाइए |
जो छला किये छलिये,
तो आप भी छले जाइए ||
तो आप भी छले जाइए ||
तोते अब उड़े न उड़े,
हाथों को मले जाइए |
हाथों को मले जाइए |
है बदनाम खूब मैना,
रूप में ढले जाइए ||
रूप में ढले जाइए ||
उन्मुक्तता फितरत में,
तो पड़ाव अगले जाइए |
तो पड़ाव अगले जाइए |
जाने कब मुलाक़ात हो,
सो लगकर गले जाइए ||
सो लगकर गले जाइए ||
महफ़िल छोड़कर चले,
ReplyDeleteजल रहे दिलजले जाइए |
ek behad majedar rachna ! badhai !
तोते अब उड़े न उड़े,
ReplyDeleteहाथों को मले जाइए |
है बदनाम खूब मैना,
रूप में ढले जाइए ||
bahut koob likha hai .aabhar
जाने कब मुलाक़ात हो,
ReplyDeleteसो लगकर गले जाइए ||
बहुत खूब...
महफ़िल छोड़कर चले,
ReplyDeleteजल रहे दिलजले जाइए |
जो छला किये छलिये,
तो आप भी छले जाइए ||
sahi kaha thagne se thaga jana jyada achchha hai.
शाकाहारी हैं तो क्या ?
ReplyDeleteकलेजा है, तले जाइए |
यह मजेदार है। ऐसा लगता है सब टिप्पणीकारों ने मिलकर सारी कविता जो गजल जैसी है, को ही उद्धत कर दिया।
एक बार फिर खले जाइए में खले का मतलब?
शाकाहारी हूँ, कुछ नहीं खाऊंगा, सिर्फ़ प्यार अपनापन चाहिए
ReplyDeleteबहुत खूब रविकर जी .आभार
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