03 July, 2011

हँसती -खिलखिलाती : गजल

यूँ  भी  कभी  हैं  होते  ये चश्म-नम ख़ुशी में।
तेरे शोख-चश्म जब भी करते सितम ख़ुशी में।।

यह मंज़िले-मुहब्बत आख़िर मुझे मिली जो,
दिल बाग-बाग होवे,  बहके  क़दम ख़ुशी में।

तेरी  सूरतो-सीरत  ही  मेरा  बनी  सहारा,

आने से तेरे लहके यह घर-चमन ख़ुशी में।

यह  छेड़-छाड़  तेरी, तेरा  बहुत  सताना,
हैं राहे-उल्फ़त आसाँ करते सनम ख़ुशी में।

मुझको  तेरा  सताना  और ग़मज़दा बनाना,

फिर चुपके-चुपके हँसना चहके हैं हम ख़ुशी में।

ऐ  जान - जाने - जाना   मेरे  क़रीब  आना !
पारस सा छू दो ‘रविकर’ दमके बदन ख़ुशी में।।

( गजल की बारीकियां समझाने के लिए )
http://cbmghafil.blogspot.com/
श्रीमान चन्द्र  भूषण  मिश्र  'गाफिल'
का आभार | )

11 comments:

  1. ऐ जान - जाने - जाना मेरे क़रीब आना !
    पारस सा छू दो ‘रविकर’ दमके बदन ख़ुशी में।।
    बहुत सुन्दर भावों से भरी ग़ज़ल बधाई रविकर जी

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  2. बहुत खूब रविकर जी .आभार

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  3. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  4. रविकर जी ग़ज़ल आपकी है इसमें मेरा यत्किंचित सहयोग कोई बहुत मायने नहीं रखता। सारा श्रेय जाता है आपको और आपकी जिज्ञासुता को। आपने मेरे सुझावों को सहज स्वीकार किया यह भी आपकी महानता है। ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आप बधाई स्वीकार करें तथा आपने मुझे इस लायक समझा और इतनी तवज्ज़ो दी इसके लिए आभार

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  5. बहुत खूब रविकर जी .आभार

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  6. रविकर जी क्या बात है जनाब मदभरी बदरिया का असर यहाँ हो रहा है -सुन्दर गजल -निम्न पंक्तियाँ सचमुच छेड़ गयीं -
    शुक्ल भ्रमर ५
    यह छेड़-छाड़ तेरी, तेरा बहुत सताना,
    हैं राहे-उल्फ़त आसाँ करते सनम ख़ुशी में।

    मुझको तेरा सताना और ग़मज़दा बनाना,
    फिर चुपके-चुपके हँसना चहके हैं हम ख़ुशी में।

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  7. यह मंज़िले-मुहब्बत आख़िर मुझे मिली जो,
    दिल बाग-बाग होवे, बहके क़दम ख़ुशी में।

    सुंदर पंक्तियाँ

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  8. तेरी सूरतो-सीरत ही मेरा बनी सहारा,
    आने से तेरे लहके यह घर-चमन ख़ुशी में।

    Bahut Sunder

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  9. किधर से शुरू करून, किधर से ख़तम करून |
    जिन्दगी का फ़साना, कैसे तेरी नज़र करून |
    है ख्याल जिन्दगी का, कैसे मुनव्वर करून |
    मगरिब के जानिब खड़ा, कैसे तसव्वुर करून |

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