यूँ भी कभी हैं होते ये चश्म-नम ख़ुशी में।
तेरे शोख-चश्म जब भी करते सितम ख़ुशी में।।
यह मंज़िले-मुहब्बत आख़िर मुझे मिली जो,
दिल बाग-बाग होवे, बहके क़दम ख़ुशी में।
तेरी सूरतो-सीरत ही मेरा बनी सहारा,
यह छेड़-छाड़ तेरी, तेरा बहुत सताना,
हैं राहे-उल्फ़त आसाँ करते सनम ख़ुशी में।
मुझको तेरा सताना और ग़मज़दा बनाना,
ऐ जान - जाने - जाना मेरे क़रीब आना !
पारस सा छू दो ‘रविकर’ दमके बदन ख़ुशी में।।
( गजल की बारीकियां समझाने के लिए )
http://cbmghafil.blogspot.com/
तेरे शोख-चश्म जब भी करते सितम ख़ुशी में।।
यह मंज़िले-मुहब्बत आख़िर मुझे मिली जो,
दिल बाग-बाग होवे, बहके क़दम ख़ुशी में।
तेरी सूरतो-सीरत ही मेरा बनी सहारा,
आने से तेरे लहके यह घर-चमन ख़ुशी में।
यह छेड़-छाड़ तेरी, तेरा बहुत सताना,
हैं राहे-उल्फ़त आसाँ करते सनम ख़ुशी में।
मुझको तेरा सताना और ग़मज़दा बनाना,
फिर चुपके-चुपके हँसना चहके हैं हम ख़ुशी में।
ऐ जान - जाने - जाना मेरे क़रीब आना !
पारस सा छू दो ‘रविकर’ दमके बदन ख़ुशी में।।
( गजल की बारीकियां समझाने के लिए )
http://cbmghafil.blogspot.com/
ऐ जान - जाने - जाना मेरे क़रीब आना !
ReplyDeleteपारस सा छू दो ‘रविकर’ दमके बदन ख़ुशी में।।
बहुत सुन्दर भावों से भरी ग़ज़ल बधाई रविकर जी
बहुत खूब रविकर जी .आभार
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ...
ReplyDeleteरविकर जी ग़ज़ल आपकी है इसमें मेरा यत्किंचित सहयोग कोई बहुत मायने नहीं रखता। सारा श्रेय जाता है आपको और आपकी जिज्ञासुता को। आपने मेरे सुझावों को सहज स्वीकार किया यह भी आपकी महानता है। ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आप बधाई स्वीकार करें तथा आपने मुझे इस लायक समझा और इतनी तवज्ज़ो दी इसके लिए आभार
ReplyDeleteबहुत खूब रविकर जी .आभार
ReplyDeleteरविकर जी क्या बात है जनाब मदभरी बदरिया का असर यहाँ हो रहा है -सुन्दर गजल -निम्न पंक्तियाँ सचमुच छेड़ गयीं -
ReplyDeleteशुक्ल भ्रमर ५
यह छेड़-छाड़ तेरी, तेरा बहुत सताना,
हैं राहे-उल्फ़त आसाँ करते सनम ख़ुशी में।
मुझको तेरा सताना और ग़मज़दा बनाना,
फिर चुपके-चुपके हँसना चहके हैं हम ख़ुशी में।
यह मंज़िले-मुहब्बत आख़िर मुझे मिली जो,
ReplyDeleteदिल बाग-बाग होवे, बहके क़दम ख़ुशी में।
सुंदर पंक्तियाँ
तेरी सूरतो-सीरत ही मेरा बनी सहारा,
ReplyDeleteआने से तेरे लहके यह घर-चमन ख़ुशी में।
Bahut Sunder
acchhi comment likhi..
ReplyDeleteकिधर से शुरू करून, किधर से ख़तम करून |
ReplyDeleteजिन्दगी का फ़साना, कैसे तेरी नज़र करून |
है ख्याल जिन्दगी का, कैसे मुनव्वर करून |
मगरिब के जानिब खड़ा, कैसे तसव्वुर करून |