हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||
अक्सर गम-गम, थम-थम, अब थम |शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम - व्यर्थम ||
दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम | तन तन हर-दम *समदन सम-सम || *युद्ध
*करवर पर हम, समरथ सक्षम | *विपत्ति
अनरथ कर कम, झट-पट भर दम ||
भकभक जल यम, मरदन मरहम |
हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम ||
राहुल उवाच : कई देशों में तो, बम विस्फोट दिनचर्या में शामिल है |
राह-गुल गई तेरी, राह-उल ||
चिदंबरम उवाच: इक्तीस माह तो बचाया मुंबई को |
देश को कब तक बचाओगे ????
keya etne aavaj
ReplyDeletekub kaha
aap ne
कविता आग है तो संवाद ( महान राजनेताओं के) आहुति...
ReplyDeleteबस धधक रहा है अंतस...
हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम
ReplyDelete..बढ़िया अंदाज..बढ़िया प्रस्तुति
दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम |
ReplyDeleteतन तन हर-दम *समदन सम-सम ||
बात कहने का ये एक अंदाज हो सकता है। आपकी रचना पढने के बाद लगा। बहुत सुंदर
बधाई
बहुत खूब शानदार प्रस्तुति बधाई
ReplyDeleteसुन्दरतम अतिसुन्दरतम.बधाई
ReplyDeleteप्रिय रविकर जी सावन के महीने में न जाने क्या क्या स्वर- ये सरकार का ककहरा देखना होगा -सुन्दर रचना
ReplyDeleteहर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
वाह! क्या बात है, कविता की शब्द योजना ऐसी मानों हर शब्द नगाड़े पर बज रहे हों धम-धम, धम-धम!!
ReplyDeleteबम बम भोला बम बम भोला
ReplyDeleteभाई रविकर जी बहुत सुन्दर ब्लॉग रचना बधाई और शुभकामनायें |आपके तारीफ अंदाज मुझे पसंद आया |
ReplyDeleteaapki kavita ke hai bada dam-kham......abhar
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
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