हैं कितने हसबैंड, खून अपना चुसवाते--- (हास्य)
तीन वर्ष से पी रहा पत्नी रक्त महेश,
तीन वर्ष से पी रहा पत्नी रक्त महेश,
ये घटना दामोह की, धरे ड्रैकुला वेश |
धरे ड्रैकुला वेश, बनाई दोषी दीपा,
पूछे किन्तु महेश, बता कालिख क्यूँ लीपा |
हैं कितने हसबैंड, खून अपना चुसवाते
लेकिन वे तो नहीं, केस थाना करवाते || रेल में महिलाओं से दुर्व्यवहार पर मेरी गम्भीर टिप्पणी--
http://worldisahome.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html
महिलाओं का गर कहीं, होता है अपमान,
सिखला दुष्टों को सबक, खींचों जमके कान |
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महिलाओं का गर कहीं, होता है अपमान,
सिखला दुष्टों को सबक, खींचों जमके कान |
खींचों जमके कान, नहीं महतारी खींची ,
बाढ़ा पेड़ बबूल, करे जो हरकत नीची ||
कृपा नहीं दायित्व, हमारा सबसे पहिला,
धात्री का हो मान, सुरक्षित होवे महिला ||
एक दोहा--
पर जननी मिट गई तो--
जननी यदि कमजोर है, हो दुर्बल संतान |
पर जननी मिट गई तो, करिहै का विज्ञान ||
क्या यह किसी समाचार पर आधारित है?
ReplyDeleteहाँ ||
ReplyDeleteआज की सुर्खियाँ हैं ||
आभार ||
MP में दमोह की घटना है ||
जबरदस्ती इंजेक्शन से रक्त निकाल कर पीता था राक्षस ||
भाई रविकर जी बहुत सुंदर पोस्ट आभार |
ReplyDeleteआदरणीय - रविकर जी सुन्दर -
ReplyDeleteलेकिन हास्य के साथ इतनी गंभीर दवाई दे डाली -दोनों विरोधाभाषी ---सच में तुरंत कान खिंचाई ही नहीं धुनाई भी होनी चाहिए -फैसला ऑन दी स्पोट --
खींचों जमके कान, नहीं महतारी खींची ,
आप बच्चों के लिए हमारे ब्लॉग -बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में कृपया समर्थन दें
-शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल
बहुत सही !!
ReplyDeleteपता नहीं लोग कब समझेंगे :(
"क्या यही भाग्य रखती हैं अर्धांगिनी हमारी ,
एक नहीं दो -दो मात्राएं , नर से भारी नारी ||"
dono hi rachnayen......bahut khub
ReplyDeleteaabhar
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती हुई बेहतरीन रचना ...................................................आभार
ReplyDeleteबहुत ही सवेदनशील मुद्दा आपने लिखा है.....अच्छा सन्देश देती रचना.....
ReplyDeleteबधाई.....
sandesh deti rachna....
ReplyDeleteबहुत खूब,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
रविकर जी बहुत अच्छी प्रस्तुति .बहुत खूब .
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