19 July, 2011

हैं  कितने  हसबैंड,  खून  अपना  चुसवाते--- (हास्य) 

तीन   वर्ष   से   पी   रहा   पत्नी  रक्त  महेश,
ये  घटना  दामोह  की,  धरे   ड्रैकुला   वेश | 

धरे   ड्रैकुला   वेश,   बनाई    दोषी   दीपा,
पूछे किन्तु महेश, बता कालिख क्यूँ लीपा |

हैं  कितने  हसबैंड,  खून  अपना  चुसवाते 
लेकिन  वे  तो  नहीं, केस  थाना  करवाते || 
 रेल में महिलाओं से दुर्व्यवहार पर मेरी गम्भीर टिप्पणी-- 
http://worldisahome.blogspot.com/2011/07/blog-post_18.html
महिलाओं का गर कहीं, होता  है  अपमान,
सिखला दुष्टों को सबक, खींचों जमके कान |

खींचों जमके  कान,  नहीं महतारी खींची ,
बाढ़ा  पेड़  बबूल,  करे  जो हरकत  नीची ||

कृपा नहीं दायित्व,  हमारा  सबसे  पहिला,
धात्री  का  हो  मान, सुरक्षित होवे  महिला ||

एक दोहा--
               पर जननी मिट गई तो--


जननी यदि कमजोर  है, हो  दुर्बल  संतान |
पर जननी मिट गई तो, करिहै का विज्ञान ||

12 comments:

  1. क्या यह किसी समाचार पर आधारित है?

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  2. हाँ ||
    आज की सुर्खियाँ हैं ||

    आभार ||

    MP में दमोह की घटना है ||

    जबरदस्ती इंजेक्शन से रक्त निकाल कर पीता था राक्षस ||

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  3. भाई रविकर जी बहुत सुंदर पोस्ट आभार |

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  4. आदरणीय - रविकर जी सुन्दर -
    लेकिन हास्य के साथ इतनी गंभीर दवाई दे डाली -दोनों विरोधाभाषी ---सच में तुरंत कान खिंचाई ही नहीं धुनाई भी होनी चाहिए -फैसला ऑन दी स्पोट --

    खींचों जमके कान, नहीं महतारी खींची ,

    आप बच्चों के लिए हमारे ब्लॉग -बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में कृपया समर्थन दें

    -शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का झरोखा -दर्द-ए -दिल

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  5. बहुत सही !!
    पता नहीं लोग कब समझेंगे :(

    "क्या यही भाग्य रखती हैं अर्धांगिनी हमारी ,
    एक नहीं दो -दो मात्राएं , नर से भारी नारी ||"

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  6. dono hi rachnayen......bahut khub

    aabhar

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. सार्थक सन्देश देती हुई बेहतरीन रचना ...................................................आभार

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  9. बहुत ही सवेदनशील मुद्दा आपने लिखा है.....अच्छा सन्देश देती रचना.....
    बधाई.....

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  10. रविकर जी बहुत अच्छी प्रस्तुति .बहुत खूब .

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