मध्य-वर्ग की दोगली, रही सदा से नीत |
नीचे हरदम दूसता, ऊपर करता प्रीत || दूसना = ऐब लगाना भेद भरे बरताव से, सदा प्रेरणा लेत |
ऊपर से जो लेत है , सीधे नीचे देत ||
मुद्रा *मुधा बनाय के, मुद्रा दाबे दांत | *व्यर्थ
दो पैसे के वास्ते, तोड़े भागे पांत ||
इस योनी का ये मजा, ऊपर नीचे भेंट |
दाँत दिखा उत पार्टी, पंख दिखा इत डेट || दाँत दिखाना = चापलूसी करना
पंख दिखाना से तात्पर्य है ऊँचा उड़ाने का ख़्वाब ||
चमगीदड़ सी आदतें , पूरा किन्तु करैत | करैत = विषैला सांप इस योनी का ये मजा, ऊपर नीचे भेंट |
दाँत दिखा उत पार्टी, पंख दिखा इत डेट || दाँत दिखाना = चापलूसी करना
पंख दिखाना से तात्पर्य है ऊँचा उड़ाने का ख़्वाब ||
टक्कर में आते नहीं, कुक्कुर गीदड़ प्रेत ||
गर जुगाड़ से पा गया, धन सम्पदा अकूत |
निज अतीत को भूलकर, बनता जाता भूत ||
बड़ा दिखावा है इधर, घर न भूंजी भाँग |
पुत्र निठल्ला घूमता, बीस लाख की मांग ||
चमगीदड़ सी आदतें , पूरा किन्तु करैत |
ReplyDeleteटक्कर में आते नहीं, कुक्कुर गीदड़ प्रेत ||
मध्य वर्ग पर ब्यंग युक्त सटीक कटाक्ष करती बेहतरीन प्रस्तुति...
शुभकामनाएं !!!
बड़ा दिखावा है इधर, घर न भूंजी भाँग |
ReplyDeleteपुत्र निठल्ला घूमता, बीस लाख की मांग |
सुन्दर कटाक्ष
बेहतरीन दोहे ..अच्छा कटाक्ष करते हुए
ReplyDeleteहर इक पंक्ति में गहरी बात छिपी है ।पहली बार पढा आपको...अच्छा लगा...हर इक पंक्ति में गहरी बात छिपी है ।पहली बार पढा आपको...अच्छा लगा...
ReplyDeleteदोहे सुन्दर और सटीक है ..आभार
ReplyDeleteगर जुगाड़ से पा गया, धन सम्पदा अकूत |
ReplyDeleteनिज अतीत को भूलकर, बनता जाता भूत ||
..bahut badiya sateek vyang!
सटीक दोहे!!!
ReplyDeleteअपने उपर कटाक्ष काफी सुंदर और सटीक हैं,पसंद आया
ReplyDeleteकृष्ण गोपाल गुप्ता.मुंबई.
सार्थक और उद्देश्यपूर्ण रचना
ReplyDeleteबीच के लोगों की ,सैन -वीच में फंसे स्लाइस की मजबूरी पिसते बने रहने की ,रीस और बेहूदा होड़ को आइना दिखाती प्रस्तुति , यह काम रविकर दोहावली ही कर सकती है नित नित नए कलेवर संग .
ReplyDeleteshow dictionary for regional words always.
बहुत-बहुत आभार ||
ReplyDeleteदूसना = ऐब लगाना / कलंक लगाना
करैत = विषैला सांप
दाँत दिखाना = चापलूसी करना
पंख दिखाना से तात्पर्य है ऊँचा उड़ाने ख़्वाब ||
बहुत सुंदर रचना है.....बहुत बहुत आभार ..
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