एक गाँव है पटरंगा |
पूरब - पश्चिम में बड़ी अदावत है |
कई वर्षों से पश्चिमवालों का ही दबदबा है |
कई वर्षों से पश्चिमवालों का ही दबदबा है |
मुखिया भी पश्चिम का |
मुखिया मुख सो ---
मुखिया मुख सो ---
ही है पर पुश्तों की काली कमाई जमा क़र रखी है स्विसराल में |
इधर अन्ना बाबा के साथ मिलकर पूरब वालों ने हल्ला बोल रखा है ||
ये मुखिया अभी हाल में, हफ़्तों स्विसराल में बिता क़र आया है |
इधर अन्ना बाबा के साथ मिलकर पूरब वालों ने हल्ला बोल रखा है ||
ये मुखिया अभी हाल में, हफ़्तों स्विसराल में बिता क़र आया है |
भला अब कैसे निकले, दुबारा ? और अपनी काली कमाई ठिकाने लगाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाये ??
इसी उधेड़बुन में था मुखिया कि एक दिन दुर्मुख-विजय मिला,
इसी उधेड़बुन में था मुखिया कि एक दिन दुर्मुख-विजय मिला,
और अगले हफ्ते मुखिया हो गए,
बड़े शहर के बड़े हस्पताल में एडमिट ||
सब साले सेवा में ---
शल्य क्रिया सफल हो ||
शुभकामनाएं--
सारा सच कह दिया।
ReplyDeleteसार्थक और प्रासंगिक ...
ReplyDeleteबस दिग्विजय जैसा सोच गया ||
ReplyDeleteआभार ||
नरेश जी का पटरंगा से SMS
ReplyDeleteलघु-$ता ?
क्या है ये ?
ये लघु कथा है --
पर यहाँ तो $ (डालर) का निशाँ है भाई |
क्या ये भी है काली कमाई ||
जय अन्ना बाबा की ,मंद बुद्धो राज कुमार की ,मम्मी जी की ,भारतीय प्रजा तंत्र की .तिहाड़ जेल की .
ReplyDeleteसार्थक और सटीक प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
प्रिय रविकर जी गजब का तीर छूटा अब देखो साले लोग पार कर देते हैं या नहीं ..स्विसराल..बहुत खतरनाक बन गया है कहीं नाक न कटा दे ---
ReplyDeleteभ्रमर ५
स्विसराल..................
ReplyDeleteहंसा दिया रविकर जी। बात कहने का तरीक़ा मज़ेदार है।
लघु-$ता में
ReplyDeleteक के स्थानपर
$ का निशाँ क्या कर रहा है ??
सार्थक चिंतन।
ReplyDelete------
कम्प्यूटर से तेज़...!
सुज्ञ कहे सुविचार के....
gahan chintan....
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।