01 September, 2011

बकते शरद-पवार, अगर दम बांधों घन्टी |




          ट्वेंटी-ट्वेंटी  में चले, युवा  जनों का जोर |

          बुड्ढा द्रविड़ मारता, लेकिन सिक्सर-फोर ||

लेकिन सिक्सर-फोर, हेश-लेंडर की जोड़ी | 
सर-पट  दौड़े  तेज,  कोर्ट पर बुड्ढी घोड़ी | 
File:Sharad Pawar, Minister of AgricultureCrop.jpg
           बकते शरद-पवार, अगर दम बांधों घन्टी |
                      बुड्ढे  बन  के बॉस,  खलेंगे  सालों  ट्वेंटी ||






Sports Minster Ajay maken
File Photo
The Sports Ministry has opened front against the BCCI for refusing to come under the Right to Information (RTI).


5 comments:

  1. बची खुची नाक भी कटवा के ही आने का मूड लगता है इन लोगों का इस बार तो

    ReplyDelete
  2. ab kuch bacha bhi kaha hai ..........kash koi samjhe

    ReplyDelete
  3. बहुत ही बढ़िया

    ReplyDelete
  4. बकते शरद-पवार, अगर दम बांधों घन्टी |
    बुड्ढे बन के बॉस, खलेंगे सालों ट्वेंटी
    ये तो सब कुछ कर लेंगे.सुन्दर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  5. बहुत ज़ोरदार प्रस्तुति भाई साहब ! बकते शरद-पवार, अगर दम बांधों घन्टी | बुड्ढे बन के बॉस, खलेंगे सालों ट्वेंटी ||
    शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
    शरद यादव ने जो कहा है वह विशेषाधिकार हनन नहीं है ?
    शरद यादव ने पहले अन्ना अनशन पर बहस के दौरान अपने दुर्मुख से अन्ना जी के खिलाफ व्यक्तिगत बहुत कुछ कहा था ,आन्दोलन की खिलाफत करते हुए और अब संसद के बाहर संसद के मूल भूत ढाँचे पर ही प्रहार कर रहें हैं ।
    गुजरात की एक वृद्ध महिला राज्यपाल को बूढी गाय और राष्ट्रपति को सफ़ेद हाथी कहना ,संसद के बुनियादी ढाँचे ,संविधानिक पदों पर सीधा प्रहार है .क्या संसद के बाहर शरद यादव जी का किया गया यह अनर्गल प्रलाप "विशेषा -धिकार हनन "और संसद की अवमानना का मामला नहीं है ?या सिर्फ वही मामले संसद की अवमानना और विशेषाधिकार के अंतर्गत आतें हैं जो राम लीला मैदान से जन संवाद ,जन आक्रोश बन मुखरित होते हैं ?
    क्या विशेषाधिकार उस रूमाल की तरह है जो सांसदों की जेब में पड़ा है और जिससे जब मर्जी नाक पौंछ करसांसद उसे दोबारा जेब में डाल लेतें हैं ?

    ReplyDelete