अन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
केजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |
सारोकार-सुयोग, सुनों सम्वाद ओम के,
फ़िदा किरण का नाट्य, वितरकी हुए रोम के |
कह 'रविकर' इतिहास, जोड़ता स्वर्णिम पन्ना,
व्युअर-शिप का शेर, हमारा प्यारा अन्ना ||
कह 'रविकर' इतिहास, जोड़ता स्वर्णिम पन्ना,
व्युअर-शिप का शेर, हमारा प्यारा अन्ना ||
नाटक-शाला में घुसें, दीवारों को तोड़,
आगे-आगे ओम जी, पीछे कई करोड़ |
पीछे कई करोड़, सुधारो खुद को भाई,
पीछे कई करोड़, सुधारो खुद को भाई,
आँगन कुटी छवाय, रखो बाकी अच्छाई |
कह रविकर अफ़सोस, कुटिल काला दिल सा ला,
मिटा रहे सम्मान, बना के नाटक-शाला ||
छा गये रविकर जी !
ReplyDeleteनयन से चाह भर, वाण मार मार कर
ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |कुंडलियों का जादू प्रेमी के सिर चढ़ा जात है ....
बृहस्पतिवार, १ सितम्बर २०११
....फांसी पर जातिवादी ताकतें मुखर .... .......
File:Ashoka Chakra.svg
नाटक-शाला में घुसें, दीवारों को तोड़,
आगे-आगे ओम जी, पीछे कई करोड़ |
क्या बात है मेरे आशु गिरधर कविराय ,रविकर -दिनकर -कविराय ...जुग जुग जियो ....
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteअन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
ReplyDeleteकेजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |
आपकी ब्लोगिया दस्तक हमारे लिखे के आंच है ...
शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...
शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...
सरकार का जाहो जलाल उससे मांग करता है आम आदमी ,जनता इस देश की उससे डर के रहे .लोक का तंत्र सरकार के पास है जनता बाहर है .सरकार के पास पतंग की डोर है ,पतंग की क्या मजाल जो बोले ।
अलबत्ता सरकार मानती है -गलती वहां हुई जहां केजरीवाल की स्टडी लीव मंजूर की .किरण बेदी का इस्तीफा मंजूर किया ।
सरकार के वकीलों ने सरकार को यही सिखाया है -फूंक निकालो जनता की ,जनता नहीं डरे तो पीछे हट जाओ .चिदम्बरम की तरह ,प्रधान मंत्री की तरह कह दो महक माये पुलिस का काम है हमें नहीं मालूम ,केजरी वाल के मामले में आगे कच्ची हो तो कह दो कैसी फ़ाइल किसकी फ़ाइल "इनकम टेक्स डिपार्टमेंट से पूछो "हमें नहीं मालूम ।
दिमाग से पैदल इस सरकार के पास सारे मनीष तिवारी हैं ।
गलती सरकार करे भुगते इन्कमटेक्स डिपार्टमेंट ,देख लेना भारत -वासियों यही होगा ।
सरकार साफ़ कह देगी फ़ाइल भी सरकार के पास होती नहीं है विभाग के पास होती है ,उसी ने चार साल बाद यह फ़ाइल खोली है .हमसे क्या मतलब ।
अन्दर की बात भाई साहब आप भी जानतें हैं खिशियानी सरकार के पास फ़ाइल ही तो है अब भला वह उसे भी स्तेमाल न करे .केजरीवाल की ये मजाल .उसके नाम तो ज़मीन के नीचे भी खुदाई करके एक ज़मीन का टुकडा खोज लिया जाएगा ,रजिस्ट्री ढूंढ निकाल ली जायेगी .ज़मीन के ऊपर तो मिली नहीं है ।
लोगों की फ़ाइल सरकार रखती है यही तो लोकतंत्र है .
ये भारत है अमरीका नहीं है जहां वाईट हाउस के ठीक बाहर दुनिया भर के लोगों को प्रदर्शन की छूट है और कहीं कोई तनाव नहीं होता ,यकीन मानिए हमने वह नजारा बारहा देखा है .ऑरकुट पर उस नजारे केहमारे चित्र , फोटो मौजूद हैं ।
अब इन सरकारी कुतर्क पंडितों का तर्क देखो -केजरी वाल साहब के मरहूम चचा जान अपने बचपन में आर एस एस की शाखा में जाते थे .कल को सरकार यह भी कह सकती है मंदिर भी रोज़ जाते थे -यदि रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम गांधीजी ने नहीं गाया होता तो इसे गाने वालों को ये सेक्युलर सरकार साम्प्रदायिक घोषित कर देती ,आर एस एस तत्व कह देती ,नाथू राम गोडसे का वारिस बतला देती ।
इसी सरकार को यह नहीं मालूम मम्मी जी के परिवारी मुसोलोनी की चाकरी करते थे ,ये सभी उनके,मम्मी जी के सरकारी मुसक्के हैं ।
सरकार भूल रही है किसी एक परिघटना पर सरकार के ही दस आदमी टूट जातें हैं .फिर डर किस बात का ,फ़ाइल की आड़ कैसी जो सरकार अभी किरण बेदी जी की भी खोलेगी ,खुला खेल खेले सरकार यदि डिब्बे का दूध नहीं पीया है तो .खूब उखाड़े गड़े मुर्दे .
रवि जी ,
ReplyDeleteसटीक लिखा है ..
अन्ना का अनशन तुडवाना सरकार के लिए गले की फांस था ..वो जैसे तैसे निकाल दिया .. सरकार का सच्चा मुखौटा सामने आ रहा है .. जनता को धोखा दे कर क्या अपने को बचा पाएगी ?
संसद में एक सुर से पारित करने के बाद स्थायी कमेटी के नाम से अपने मन की चलाएगी ... यही लोकतंत्र है देश का ?
कह रविकर अफ़सोस, कुटिल काला दिल सा ला,
ReplyDeleteमिटा रहे सम्मान, बना के नाटक-शाला ||
बहुत खूब कही रविकर जी
अन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
ReplyDeleteकेजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |
रविकर की कुडलियां जोरदार ।
बहुत सटीक रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
बहुत खूब रविकर जी ......
ReplyDeleteबहुत ज़ोरदार प्रस्तुति भाई साहब !
ReplyDeleteFile:Ashoka Chakra.svg
नाटक-शाला में घुसें, दीवारों को तोड़,
आगे-आगे ओम जी, पीछे कई करोड़ |
दूरदर्शिता की करें, कड़ी परीक्षा पास |
जोखिम से डरते नहीं, नहीं अन्धविश्वास ||
सद-उद्देश्यों के लिए, लड़ा रहे वे जान |
सिद्ध-पुरुष की खूबियाँ, अन्ना बड़े महान ||
कह सिब्बल समझाय, करो ऐसी मक्कारी,
नौ पीढ़ी बरबाद, डरे कर्मी-सरकारी ||
"उम्र अब्दुल्ला उवाच :"
माननीय उमर अब्दुल्लासाहब ने कहा है यदि जम्मू -कश्मीर लेह लद्दाख की उनकी सरकार विधान सभा में तमिल नाडू जैसा प्रस्ताव (राजिव के हत्यारों की सज़ा मुआफी ) अफज़ल गुरु की सजा मुआफी के बारे में पारित कर दे तो केंद्र सरकार का क्या रुख होगा ।
जब इसके बाबत केंद्र सरकार के प्राधिकृत प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा गया जनाब टालू अंदाज़ में बोले ये उनकी वैयक्तिक राय है,मैं इस पर क्या कहूं ?
बात साफ़ है राष्ट्री मुद्दों पर कोंग्रेस की कोई राय नहीं है ।
और ज़नाब उमर अब्दुल्ला साहब ,न तो नाथू राम गोडसे आतंक वादी थे और न ही राजीव जी के हत्यारे .एक गांधी जी की पाकिस्तान नीति से खफा थे ,जबकि जातीय अस्मिता के संरक्षक राजीव जी के हत्यारे राजीव जी की श्री लंका के प्रति तमिल नीति से खफा थे .वह मूलतया अफज़ल गुरु की तरह आतंक वादी न थे जिसने सांसदों की ज़िन्दगी को ही खतरे में नहीं डाला था ,निहथ्थे लोगों पर यहाँ वहां बम बरसवाने की साजिश भी रच वाई थी .संसद को ही उड़ाने का जिसका मंसूबा था .ऐसे अफज़ल गुरु को आप बचाने की जुगत में हैं क्या हज़रात ?
बहुत सटीक रचना....
ReplyDeleteऔर डिजाइन भी बेहतरीन..
वीरू भाई को उम्दा टीप के लिए दिल से राम राम.
रवि जी ,बहुत सटीक लिखा है ..आप की कुडलियां हमेशा अच्छी और सार्थक होती हैं...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुतियां
बधाई
bahut satik...
ReplyDeletesadar badhai..
जोरदार, जान दार लाजवाब प्रस्तुति
ReplyDeleteअन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
ReplyDeleteकेजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |
सारोकार-सुयोग, सुनों सम्वाद ओम के,
फ़िदा किरण का नाट्य, वितरकी हुए रोम के |
सुन्दर सर्थक रचना बेहतरीन प्रस्तुति.