जस्ट-वाच !!
"अन्ना - उवाच"
"अन्ना - उवाच"
पॉकिट मा हाथ धरे, सरदी से जात मरे,
बॉल ताकें खड़े-खड़े, मात पर मात है |
नेट-वेस्ट करो याद, मेजबान पाद-पाद
सहा किया जो विषाद, जाना औकात है |
भूलते नासिर-वोन, बम जान गेंद छोड़
सौरव का शर्ट-दौर , आज करे बात है |
माघ का मजूर बन, करो मजबूत मन--
बड़े-बूढ़े गदहों से, गधा क्यूँ कहात है ??
सामयिक तथ्यों को बढ़िया अंदाज में प्रस्तुत करता धनाक्षरी छंद....
ReplyDeleteबढ़िया.... सादर बधाई...
माघ का मजूर बन, करो मजबूत मन--
ReplyDeleteबड़े-बूढ़े गदहों से, गधा क्यूँ कहात है ??
वाकई गधों के लिए रोने की बात है.बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
बहुत ही अच्छा लिखा है.....
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुती!
कुछ
ReplyDeleteनासिर हुसैन भी पढ़े , तो ... !!
कहते है कि गधे तो आखिर गधे ही होते है नालायकों तुम पैदा भी होते हो हमारे doctors के सहारे वरना मर जाते अपने मां के गर्भ में.
ReplyDeleteछंद-घनाक्षरी का सुंदर प्रयोग कर दिल की बातें कह गये.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुती!!!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है ....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteओह...गज्ज़ब..गज्ज़ब....
ReplyDeleteआपकी लेखनी के फैन हो गए हम...
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