(घनाक्षरी)
ब्यूटी पार्लर जाय के, जन्मदिन मनाय के
ब्यूटी पार्लर जाय के, जन्मदिन मनाय के
अरबों गिफ्ट पाय के, मन हरसाया है |
सर्वजन कहाय के, गाँव-गाँव लडाय के
बहुजन डराय के, राज-काज पाया है |
रसोइयाँ पटाय के, जूती जेट से लाय के,
मूरत लगवाय के, पार्क बनवाया है |
विकीलीक्स बताय के, मिसिर का उकसाय के,
पी एम् बरगलाय के, पूरा पगलाया है ||
खुद को बहके के जनता को ललचाय के,
ReplyDeleteदलित राग गाये के,सत्ता सुख पाया है.
बहुत सही प्रस्तुति रविकर जी
सोइयाँ पटाय के, जूती जेट से लाय के,
ReplyDeleteमूरत लगवाय के, पार्क बनवाया है |
सही कटाक्ष ..
Main to aachar sahinta se bandha hu
ReplyDeleteisliye kuch nahi kahunga.
Aapko khud hi samajhana hoga.
Post ki b..a..d..h..a..a..i..
बहुत सटीक कटाक्ष ।
ReplyDeleteसही कटाक्ष ..
ReplyDeleteताली रोकने का मन नहीं कर रहा...
ReplyDeleteक्या लिखा है आपने....क्या कहूँ....
बस लाजवाब...लाजवाब...लाजवाब...
सबकुछ इतने में ही समेट दिया आपने...
इस धारदार रचना के लिए आभार स्वीकारें...
आपको 'सर्वजन' नहि सुहाया है,यहि बरे बहुतै लतियाया है !
ReplyDeleteसच बोलने, बताने वाले को तो ऐसा ही कहा जाता है।
ReplyDeleteमाया की माया माया ही जाने ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteरविकर जी
ReplyDelete....क्या लिखते हैं आप...धारदार रचना!