बकती बस बकवास, बताओ राजा किसका | कलमाड़ी भी आज, करोड़ों खा के खिसका | रविकर जी आपकी रचनात्मक ऊर्जा इसी तरह सलामत रहे .बहुत सुन्दर समायोजन दोहावली में राजनीति के प्रदूषण पर्व का .बधाई !
राजनीति में प्रदूषण पर्व है ये पर्युषण पर्व नहीं .
प्रिय रविकर जी हार्दिक अभिवादन बहुत सुन्दर और सटीक , चाहे पगड़ी उछले चाहे कोई तानाशाह बने शर्म कहाँ बची ....सब धो के पी लिए आभार इतनी सुन्दर रचना प्रस्तुत करने पर भ्रमर ५
sundar...
ReplyDeleteबकती बस बकवास, बताओ राजा किसका |
ReplyDeleteकलमाड़ी भी आज, करोड़ों खा के खिसका |
रविकर जी आपकी रचनात्मक ऊर्जा इसी तरह सलामत रहे .बहुत सुन्दर समायोजन दोहावली में राजनीति के प्रदूषण पर्व का .बधाई !
राजनीति में प्रदूषण पर्व है ये पर्युषण पर्व नहीं .
कबीरा खडा़ बाज़ार में
बिलकुल ताज़ा हालात .....
ReplyDeleteप्रासंगिक रचना ..
ReplyDeleteप्रिय रविकर जी हार्दिक अभिवादन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक , चाहे पगड़ी उछले चाहे कोई तानाशाह बने शर्म कहाँ बची ....सब धो के पी लिए
आभार इतनी सुन्दर रचना प्रस्तुत करने पर
भ्रमर ५
हा हा ... अब देखो अमर क्या गुल खिलाते हैं ...
ReplyDeleteभाई रविकर जी चर्चा मंच के लिए अनुमति की आवश्कता नहीं है |कुंडलियाँ बहुत सुंदर लगीं |बधाई
ReplyDeleteसामयिक विषय पर बेलौस टिप्पणी !
ReplyDeletesatik prastuti..
ReplyDeletesaadar...
बहुत सही....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर / बहुत सही.
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