04 September, 2011

बड़े-बूढ़े गदहों से, गधा क्यूँ कहात है ??

जस्ट-वाच !!

"अन्ना - उवाच"

पॉकिट मा हाथ धरे, सरदी से जात मरे,
बॉल ताकें खड़े-खड़े, मात पर मात है |

नेट-वेस्ट करो याद, मेजबान पाद-पाद 
सहा किया जो विषाद, जाना  औकात  है |

भूलते नासिर-वोन, बम जान गेंद छोड़  
सौरव का शर्ट-दौर , आज  करे बात है |

माघ का मजूर बन, करो मजबूत मन-- 
 बड़े-बूढ़े गदहों से, गधा क्यूँ कहात है ??
MS Dhoni hits one straight to the fielder

11 comments:

  1. सामयिक तथ्यों को बढ़िया अंदाज में प्रस्तुत करता धनाक्षरी छंद....
    बढ़िया.... सादर बधाई...

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  2. माघ का मजूर बन, करो मजबूत मन--
    बड़े-बूढ़े गदहों से, गधा क्यूँ कहात है ??
    वाकई गधों के लिए रोने की बात है.बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  3. बहुत ही अच्छा लिखा है.....
    उम्दा प्रस्तुती!

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  4. कुछ
    नासिर हुसैन भी पढ़े , तो ... !!

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  5. कहते है कि गधे तो आखिर गधे ही होते है नालायकों तुम पैदा भी होते हो हमारे doctors के सहारे वरना मर जाते अपने मां के गर्भ में.

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  6. छंद-घनाक्षरी का सुंदर प्रयोग कर दिल की बातें कह गये.

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  7. सुन्दर प्रस्तुती!!!

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  8. बहुत खूब लिखा है ....

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. ओह...गज्ज़ब..गज्ज़ब....

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  11. आपकी लेखनी के फैन हो गए हम...

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