दोहा
नई गरीबी रेख से, कर गरीब-उत्थान ||
दो सरदारों से बना, भारत देश महान ||
घनाक्षरी
बत्तीसी दिखलाय के, पच्चीस कमवाय के
आयोग आगे आय के, खूब हलफाते हैं |
दवा दारु नेचर से, कपडे फटीचर से
मुफ्तखोर टीचर से, बच्चा पढवाते हैं |
सेहत शिक्षा मिल गै , कपडा लत्ता सिल गै
तनिक छत हिल गै, काहे घबराते हैं ?
गरीबी हटाओ बोल, इंदिरा भी गईं डोल,
सरकारी झाल-झोल, गरीब मिटाते हैं ||
आयोग आगे आय के, खूब हलफाते हैं |
दवा दारु नेचर से, कपडे फटीचर से
मुफ्तखोर टीचर से, बच्चा पढवाते हैं |
सेहत शिक्षा मिल गै , कपडा लत्ता सिल गै
तनिक छत हिल गै, काहे घबराते हैं ?
गरीबी हटाओ बोल, इंदिरा भी गईं डोल,
सरकारी झाल-झोल, गरीब मिटाते हैं ||
कुण्डली
जंगल में चलकर रहो, सूखी टहनी बीन |
चावल दो मुट्ठी भरो, कर लो झट नमकीन |
कर लो झट नमकीन, माड़ से भरो कटोरा |
माड़ - भात परसाय, खिलाऊ छोरी-छोरा |
डब्लू एच ओ जाय, बता दो सब कुछ मंगल |
चार साल के बाद, यही तो होइहैं नक्सल ||
चावल दो मुट्ठी भरो, कर लो झट नमकीन |
कर लो झट नमकीन, माड़ से भरो कटोरा |
माड़ - भात परसाय, खिलाऊ छोरी-छोरा |
डब्लू एच ओ जाय, बता दो सब कुछ मंगल |
चार साल के बाद, यही तो होइहैं नक्सल ||
दोहा
हुई गरीबी भुखमरी, बत्तिस में बदनाम |
बने अमीरी आज फ़क्त, एक रुपैया दाम |
हुई गरीबी भुखमरी, बत्तिस में बदनाम |
बने अमीरी आज फ़क्त, एक रुपैया दाम |
♥
ReplyDeleteआदरणीय रविकर जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
क्या बात है …
दोहे भी मस्त ! घनाक्षरी कमाल ! कुंडली गज़ब !
क्या इरादा है ? :)
मुफ़्तखोर टीचर से बच्चा पढ़वाते हैं …
वाह !
चार साल के बाद, यही तो होइहैं नक्सल
आह !
आपके ब्लॉग पर आ'कर अनन्द मिलता है … :)
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सटीक बात कही... पढकर बहुत अनन्द मिला..
ReplyDeleteसटीक..सुंदर...आनंद दायक।
ReplyDeleteयथार्थ को कहती हर रचना ...
ReplyDeleteआज 23- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
गजब की पोस्ट!
ReplyDeleteसादर
सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteअच्छी लगी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति | बधाई |
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में भी आयें-
**मेरी कविता**
बहुत सही और सटीक दोहे ...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut kamal ke dohe, ghanaakshari aur kundli. maza aaya padhkar. bahut sateek aur saarthak, badhai sweekaaren.
ReplyDeleteबहुत खूब ............पढ़ा कर मज़ा आ गया
ReplyDeleteहुई गरीबी भुखमरी, बत्तिस में बदनाम
ReplyDeleteबहुत खूब
गरीबों की दुर्दशा पर सटीक टिप्पणी है आपकी रचना ....
ReplyDeleteनई गरीबी रेख से, कर गरीब-उत्थान ||
ReplyDeleteदो सरदारों से बना, भारत देश महान ||
कविता के सारे प्रयोग एक ही प्रस्तुति में और ऊपर से आज के हालात पर सुंदर कटाक्ष. बधाई.