23 September, 2011

मंगल-मंगल काज--

Be A Martian
नाशा की आशा जगी, अमरीकन अभियान | 
 मंगल-ग्रह पर ढूंढ़ता, जीवन जीव निशान |

जीवन जीव निशान, हवा पानी विज्ञानी |
जीवन मंगलमयी, चाहता हिन्दुस्तानी |

भौतिक सुख की चाह,  यह अमरीका प्यासा |
नाशा जीवन-राह,   खोजता जीवन नाशा ||





अमरीका मंगल छुआ, पर अमरीकन व्यग्र |
मन्दी  ऐसी  मार है,  रहेगा  कब  तक अग्र ||

रहेगा कब तक अग्र, हुआ अवसादित जीवन |
चार्वाक  की  नीत, क्षीण परिवारिक बंधन |

मितव्ययी हम आज, माथ पर मंगल-टीका |
मंगल-मंगल काज,  कहाँ पावै अमरीका ??

12 comments:

  1. ये तो होना ही है.

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  2. दोनों कुण्डलियाँ बेहतरीन

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  3. बहुत अच्छी रचना।

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  4. जबरदस्त कुंडलियां रविकर जी ।

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  5. विज्ञान और संस्कृति ...सुंदर रचना

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  6. अच्छी रचना , बधाई

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  7. बढ़िया कुण्डलियाँ....
    सादर बधाई...

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  8. सुन्दर रसमय भाव भरे मंगलमय दोहे '
    जुड़े सृजन से जो भी सच वह कवी मन मोहे

    सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई

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  9. रहेगा कब तक अग्र, हुआ अवसादित जीवन |
    चार्वाक की नीत, क्षीण परिवारिक बंधन |

    बहुत सुन्दर और सटीक छंद...

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