जीवन जीव निशान, हवा पानी विज्ञानी |
जीवन मंगलमयी, चाहता हिन्दुस्तानी |
जीवन मंगलमयी, चाहता हिन्दुस्तानी |
भौतिक सुख की चाह, यह अमरीका प्यासा |
नाशा जीवन-राह, खोजता जीवन नाशा ||
मन्दी ऐसी मार है, रहेगा कब तक अग्र ||
रहेगा कब तक अग्र, हुआ अवसादित जीवन |
चार्वाक की नीत, क्षीण परिवारिक बंधन |
मितव्ययी हम आज, माथ पर मंगल-टीका |
ये तो होना ही है.
ReplyDeleteदोनों कुण्डलियाँ बेहतरीन
ReplyDeletelajabab.....
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना।
ReplyDeleteजबरदस्त कुंडलियां रविकर जी ।
ReplyDeleteविज्ञान और संस्कृति ...सुंदर रचना
ReplyDeleteअच्छी रचना , बधाई
ReplyDeleteबढ़िया कुण्डलियाँ....
ReplyDeleteसादर बधाई...
सुंदर कुंडलियाँ
ReplyDeleteलाजबाब .....
ReplyDeleteसुन्दर रसमय भाव भरे मंगलमय दोहे '
ReplyDeleteजुड़े सृजन से जो भी सच वह कवी मन मोहे
सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई
रहेगा कब तक अग्र, हुआ अवसादित जीवन |
ReplyDeleteचार्वाक की नीत, क्षीण परिवारिक बंधन |
बहुत सुन्दर और सटीक छंद...