26 September, 2011

पत्नी पग-पग पर परे, पल-पल पति पतियाय-

 
पति-अनुनय  को कह धता, कुपित होय तत्काल |
बरछी-बोल  कटार-गम, दरक जाय मन-ढाल ||

त्नी  ग-ग  र  रे, ति पर  न  तियाय |
श्रीमन का मन मन्मथा, श्रीमति मति मटियाय ||




हार गले की फांस है, किया विरह-आहार |
हारहूर  से  तेज  है,  हार   हूर  अभिसार ||
हारहूर=मद्य  
आहार-विरह=रोटी के लाले


 चमकी चपला-चंचला , छींटा छेड़ छपाक |
 तेज तड़ित तन तोड़ती,  तददिन तमक तड़ाक ||



मुमुक्षता मुँहबाय के, माया मोह मिटाय |
मृत्यु-लोक से जाय के, महबूबा चिल्लाय ||
 मुमुक्षता=मुक्ति की अभिलाषा का भाव 
 

24 comments:

  1. अच्‍छी व्‍यंग्‍य प्रस्‍तुति.....

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  2. सुन्दर प्रस्तुती ! सटीक व्यंग्य!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  3. सटीक व्यंग्य ..

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  4. अनुप्रास अलंकार की अनुपम छटा दर्शाते उत्तम दोहे प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत बधाई गुप्ता जी

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  5. वाह .. आप अलंकारों से सजी पोस्ट लगाते अहिं हर बार और पढ़ने मों मज़ा आ जाता है ... आज तो हास्य व्यंग को भी झंकृत कर दिया ...

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  6. बहुत ही बढ़िया सर!

    सादर 

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  7. वाह वाह वाह वाह वाह

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  8. Hi,
    nie poem.

    I saw that you are with ISM.
    I am ISM passout 2k10 batch (CSE B Tech).
    From when aare you associted with ISM.

    Regards,
    Chakresh

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  9. mmravikar ji pranaam
    sach aapke rasmay dohe padh , manan kar kiskaa man na mohe . yah tippadee naheen tippad hai , ek chhote nar jeevan kaa param dhan , ran hai patnee ,sachchee vahee jo pati se tani rahe patnee .badhaayee

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  10. मुमुक्षता मुँहबाय के, माया मोह मिटाय |
    मृत्यु-लोक से जाय के, महबूबा चिल्लाय ||
    बहुत ही अनुपम पोस्ट अलंकारों से सजी हुई /बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /

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  11. सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें। सुंदर शब्द अलंकृत रचना दियो जीवन का सत्य उघार। पर ममता करुणा सहनशीलता का भी होवे ये भण्डार॥

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  12. आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (११) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आपका
    ब्लोगर्स मीट वीकली
    के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /

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  13. --क्या सुंदर भई-- विश्रंखलित वाक्य हैं -क्या कोई स्पष्ट करेगा-----?

    पति की अनुनय को धता,--- का क्या अर्थ है....

    सहे चोट मन-ढाल ||----का क्या अर्थ है...

    पत्नी पग-पग पर परे, ----का क्या अर्थ है ...

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  14. काहे विचारे रविकर को गलत व अशुद्ध काव्य की राह पर धकेल रहे हैं ......साहित्य की भी हानि है....

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  15. जी !
    इस सोच के साथ --
    पति की अनुनय को धता = पति के निवेदन पर ध्यान नहीं दिया गया और पत्नी ने इनकार कर दिया |

    कुपित होय तत्काल = और तुरंत नाराज हो गई |

    बरछी - बोल कटार - गम = कुछ चुभते हुए वाक्य
    बोले गए , मन दुखी हो गया |

    सहे चोट मन - ढाल = इस झटके को मन सहता रहा ||

    आलोचना का हमेशा स्वागत है |

    हिंदी की विधिवत पढ़ाई १० वीं तक ही हुई है, इसलिए विद्वानों की छत्र-छाया हेतु प्रयासरत रहता हूँ |

    आपकी सेवा में सम्यक सुझाव हेतु ये पंक्तियाँ १० दिन पूर्व प्रेषित की थीं परन्तु शायद आपकी कृपादृष्टि उन पर न पड़ सकी ||

    कृपया परिवर्तन सुझाएँ-- आभारी रहूँगा ||

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  16. पत्नी पग-पग पर परे = पत्नी का दूर हटने से तात्पर्य

    पल-पल पति पतियाय = पति द्वारा अपना विशवास दिलाने का प्रयास

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  17. भाई वाह
    बहुत सुन्दर अलंकृत कृति है
    शानदार

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  18. कल 20/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  19. वाह ...बहुत खूब ।

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