रविकर की टिप्पणी
उच्चारण -
अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
![[227343_214708791890181_100000531853131_786758_6697912_n.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHOPZdHWFMF6rjJJtB-njTK5ZqnlYuVzQnf1L5lYuLVFLWO0e9g3iGplTdangGAxdjzvmFAZnnbHeTzmsEvwMzbUpnMjzozxqkq9lcu3Pt_IwSzJtuDQksIg3Oadjpd8_xp9hyphenhyphenJxtI3iK5/s220/227343_214708791890181_100000531853131_786758_6697912_n.jpg)
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती ।
उल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
पल-पल पीपल प्राण, वायु ना देता थमने ।
पाले बकरी गाय, गधे भी नीचे अपने ।
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती ।
ReplyDeleteउल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
बहुत खूब .काव्य सौन्दर्य बिखेरती रचना .
हाँ ब्लॉग जगत ऐसा ही है
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeletebahut sundar
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