टट्टू बनी शिकायती, जनता खाए जान ।
धोखे की टट्टी करे, समुचित सकल निदान ।
छोटी छोटी बात पर, मर्मरीक मिमियात ।
भ्रष्ट-घुटाला कालिखें, बड़ी भूलता जात ।
*साल साल न सालता, याददाश्त कमजोर ।
कुण्डा का घड़ियाल अब, कारा रहा अगोर ।
*एक प्रकार की मछली / घाव / गढ़
सैकिल से रगड़ी गई, ताकी हाथी दाँत ।
गन्ने सा चूसी गई, फिर से वही जमात ।
झापड़ पहले खा चुकी, कमलनाल का मोह ।
दलदल से बचती फिरी, फँसी अँधेरी खोह ।
रोने से कैसे भरे, तन के गहरे जख्म ।
दवा दुआ कर ले भले, जख्म होयंगे ख़त्म ।
गिरेबान में झांक कर, कर सुधार शुरुवात ।
खुद से कर खुद-गर्ज तू , सुधरेंगे हालात ।।
रोने से कैसे भरे, तन के गहरे जख्म ।
ReplyDeleteदवा दुआ कर ले भले, जख्म होयंगे ख़त्म ।
बहुत बढ़िया...
सभी लाजवाब...
वाह! बहुत खूब....
ReplyDeleteसादर.
सैकिल से रगड़ी गई, ताकी हाथी दाँत ।
ReplyDeleteगन्ने सा चूसी गई, फिर से वही जमात ।
वाह बेहतरीन .प्रासंगिक .
...अब तो कुछ करके दिखाना होगा,खाली रगड़ाई से काम नहीं चलने वाला !
ReplyDelete