18 March, 2012

ये किसान मजदूर, करे हैं नित बेइमानी -

सकल घरेलू प्रोडक्शन, हुआ फीसदी सात ।
झेलें नेता माफिया, अभिनेता आघात । 

अभिनेता आघात, बूझते कारस्तानी ।
ये किसान मजदूर, करे हैं नित बेइमानी ।

मेरी सौ की ग्रोथ, बुराई मैं क्यूँ झेलूं ।
निन्यान्नावे ये लोग, गिराते सकल घरेलू ।। 

10 comments:

  1. वाह...
    क्या करारा तंज है.....

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  2. मेरी सौ की ग्रोथ, बुराई मैं क्यूँ झेलूं ।
    निन्यान्नावे ये लोग, गिराते सकल घरेलू ।।

    अमीरों की सोच । जोरदार व्यंग ।

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  3. तीखा कटाक्ष करते दोहे...

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  4. बहुत तीखा कटाक्ष....

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  5. वाह! सुन्दर कुण्डलिया कहा रविकर जी...

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  6. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    बहुत सार्थक पोस्ट....दोहों से आनंद आ गया. बधाई स्वीकारें.

    नीरज

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  7. बहुत अच्छे !!

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  8. कैसे मानें जीडीपी,हुआ फीसदी सात
    बढ़ती जाती महंगाई,बात-बात बेबात

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