वाह! आदरणीय रविकर जी, सुन्दर कुण्डलिया....सादर.
पानी चुल्लू भर नहीं, करे कुकर्मी ऐश ।सूखे पोखर में गई, भ्रष्टाचारी भैंस । कुण्डलियाँ रविकर की निशि दिन ताज़ा ही रहें .
वाह!!!भैंस गयी पानी में.....बहुत बढ़िया..सादर.
वाह साहब वाह सुन्दर कुंडलीयों के साथ चित्र सर्जन भी अच्छा है
बढ़िया रचना प्रस्तुत की है आपने!
..पर जल-दिवस के दिन पानी की भी कमी महसूस कि जा रही है !
न पानी है - न पानीदार लोग.
bahut sundar prastuti badhai.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.
बहे धन जैसे पानी,नहीं कोई भी चिंतामौन धरे चलता जाए सठियाया संता!
वाह! आदरणीय रविकर जी, सुन्दर कुण्डलिया....
ReplyDeleteसादर.
पानी चुल्लू भर नहीं, करे कुकर्मी ऐश ।
ReplyDeleteसूखे पोखर में गई, भ्रष्टाचारी भैंस ।
कुण्डलियाँ रविकर की निशि दिन ताज़ा ही रहें .
वाह!!!
ReplyDeleteभैंस गयी पानी में.....
बहुत बढ़िया..
सादर.
वाह साहब वाह
ReplyDeleteसुन्दर कुंडलीयों के साथ चित्र सर्जन भी अच्छा है
बढ़िया रचना प्रस्तुत की है आपने!
ReplyDelete..पर जल-दिवस के दिन पानी की भी कमी महसूस कि जा रही है !
ReplyDeleteन पानी है - न पानीदार लोग.
ReplyDeletebahut sundar prastuti badhai.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.
ReplyDeleteबहे धन जैसे पानी,नहीं कोई भी चिंता
ReplyDeleteमौन धरे चलता जाए सठियाया संता!