सही को सराहो बिराओ नहीं ।
विरुद-गीत भी व्यर्थ गाओ नहीं ।
किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-
अनर्गल गलत भाव लाओ नहीं ।
करूँ भेद लिंगी धरम जाति ना
खरी-खोटी यूँ तो सुनाओ नहीं ।
सुवन-टिप्पणी पर बड़े खुश दिखे
मगर मित्र को तो भगाओ नहीं ।
टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-
रूठ कर इस तरह दूर जाओ नहीं ।।
waah :-)
ReplyDeletewaah :-)
ReplyDeleteइस त्वरित टिप्पणी का है निर्मल आनंद
ReplyDeleteसहज भाव से देखें इसे आए बहुत पसंद|
सादर
:-)
ReplyDeleteचार चाँद आपकी टिप्पणी लगाती है...
तभी सच्ची मुस्कान चेहरे पर आती है...
त्वरित टिप्पणी है नहीं,सबके वश की,समझो
ReplyDeleteहुआ कभी,न संभव होगा,हां खुश रखना सबको