23 March, 2012

किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-

सही को सराहो बिराओ नहीं ।
विरुद-गीत भी व्यर्थ गाओ नहीं ।

किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-
अनर्गल गलत भाव लाओ नहीं । 

करूँ भेद लिंगी धरम जाति ना 
खरी-खोटी यूँ तो सुनाओ नहीं ।

सुवन-टिप्पणी पर बड़े खुश दिखे 
मगर मित्र को तो भगाओ नहीं ।

टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-
रूठ कर इस तरह दूर जाओ नहीं ।। 

दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक 

5 comments:

  1. इस त्वरित टिप्पणी का है निर्मल आनंद
    सहज भाव से देखें इसे आए बहुत पसंद|

    सादर

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  2. :-)
    चार चाँद आपकी टिप्पणी लगाती है...
    तभी सच्ची मुस्कान चेहरे पर आती है...

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  3. त्वरित टिप्पणी है नहीं,सबके वश की,समझो
    हुआ कभी,न संभव होगा,हां खुश रखना सबको

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