25 March, 2012

तड़पन बढती ही गई, नमक नमक हर घाव -

Gangotrihttp://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/5/5c/Perito_Moreno_Glacier_Patagonia_Argentina_Luca_Galuzzi_2005.JPG


 


कन्या 
हिमनद भैया मौज में, सोता चादर तान | 
सरिता बहना झेलती, पग पग पर व्यवधान  |

काटे कंटक पथ कई, करे पार चट्टान ।
गिरे पड़े आगे बढे, राह नहीं आसान ।

सुन्दर सरिता सँवरती, रहे सरोवर घूर ।
चौड़ा हो हिमनद पड़ा, सरिता बहे जरूर ।


बहना का बहना रुका, बना बाँध व्यवधान ।
बिता काल आपात का, बढ़ी बचा सम्मान ।

दुर्गंधी कलुषित हृदयनरदे करते भेंट ।
 आपस में फुस-फुस करेंकरना मटियामेट ।

इंद्र-देवता ने किया, निर्मल मन विस्तार ।
तीक्ष्ण धार-धी से सबल, समझी धी संसार ।  

तन मन आनंदित हुआ, किन्तु गई उकताए |
धार कुंद होती गई, सागर में मिल जाय |

भूल गई पहचान वो, खोयी सरस स्वभाव।
तड़पन बढ़ती ही गई, नमक नमक हर घाव  ।
  
 छूट जनक का घर बही, झेली क्रूर निगाह ।
 स्वाहा परहित हो गई, रही अधूरी चाह ।।
Muhuri  river Dam,Irrigation Project by worldbank
दुर्गंधी कलुषित हृदय, नरदे करते भेंट ।
 आपस में फुस-फुस करें, करना मटियामेट
http://www.myinterestingfacts.com/wp-content/uploads/2011/06/pollution-facts-river-pollution.jpgDrainage in Ganga at VaranasiThis drainage outlet delivering polluted runoff into the Ohio River is a point source of pollution because the pollution originates from a single, identifiable source.

Image:WWDRBangladesh.png

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 26-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  2. बहुत प्रभावी सृजन...
    सादर।

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  3. अच्छे-बुरे सभी को करती खुद में एकाकार
    जीत ही जीत होगी नही मिलेगी कभी हार।

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  4. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  5. आपके दोहे बहुत उत्कृष्ट हैं आदरणीय.. बिलकुल नदी की तरह प्रवाहमयी एवं स्त्री की तरह कोमल .. सुन्दर दोहे .. आभार ,,

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