(1)
करने पड़ेंगे हमें केश काले, पुरानी मुहब्बत शहर आ रही है ।
घटाने पड़े हैं हमें कुछ निवाले, कमर *कमकसी की कहर ढा रही है ।
निकाले पुराने पढ़े वे रिसाले, बसी खुशबू उनकी नशा छा रहा है-
करूँ खुद को रविकर उन्हीं के हवाले, तबीयत अभी से मचल जा रही है ।।
*कामचोर
(2)
चाय पिला दे जूठी अपनी, रेस्टोरेंट साथ जाकर ।
खीर चटा दे माल-मलाई, ठंडी कुल्फी चूस चुसाकर ।
कोने की दो टिकटें लेकर, देख रहे डर्टी-पिक्चर
लौंडों से झगड़ा हो जाये, दोनों जन हो जाते अन्दर-
पत्नी आकर जान बचाए ।
लौट के बुद्धू घर को आये ।
उठ्ठक-बैठक सौ करवाए ।
कौन नहीं फिर भी गुण गाये ।
(3)
मारक ताना से घायल हो, ताना-बाना ही हिल जाए ।
मांग भरी जो पहले हुलसित, पर मांग नहीं फिर भर पाए।
बिना टिकट के चढ़ें ट्रेन में, मन प्रेम-नगर छुक-छुक जाए ।
बैच-चेकिंग हो गई एक दिन, फिर से दोनों ही पकडाए ।
चोर नहीं चोरी से जाए ।
फिर से पत्नी थाने आये ।
लम्पट पति को वापस लाये ।
कान पकड़ मुर्गा बनवाये ।।
(3)
मारक ताना से घायल हो, ताना-बाना ही हिल जाए ।
मांग भरी जो पहले हुलसित, पर मांग नहीं फिर भर पाए।
बिना टिकट के चढ़ें ट्रेन में, मन प्रेम-नगर छुक-छुक जाए ।
बैच-चेकिंग हो गई एक दिन, फिर से दोनों ही पकडाए ।
चोर नहीं चोरी से जाए ।
फिर से पत्नी थाने आये ।
लम्पट पति को वापस लाये ।
कान पकड़ मुर्गा बनवाये ।।
आगे की कथा नहीं बताएँगे-
तुम्हें भी जो करना है कर लो -
ठेंगे से -
बहुत बढ़िया...!
ReplyDeleteयह हुई ना दमदार बात!
वाह!!! बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteWaaaaaaah..... Pehli waali to Super-duper Wah!
ReplyDeleteचोर नहीं चोरी से जाए ।
ReplyDeleteफिर से पत्नी थाने आये ।
लम्पट पति को वापस लाये ।
कान पकड़ मुर्गा बनवाये ।।
रविकर पूरी कथा सुनाये ,
इंतज़ार का घूँट पिलाए .
बढ़िया प्रस्तुति खूब रचाए .
सारे किस्से रोचक ....!
ReplyDeleteखूब मौज ली है आपने इस पोस्ट में। लम्पट पति की गति सही बयान की है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
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