17 May, 2012

पति लम्पट / पत्नी सती / और वो -

(1)
करने पड़ेंगे हमें केश काले,  पुरानी मुहब्बत शहर आ रही  है ।
घटाने पड़े हैं हमें कुछ  निवाले,  कमर *कमकसी की  कहर ढा रही है ।
निकाले पुराने पढ़े वे रिसाले,  बसी खुशबू उनकी नशा छा रहा  है-  
करूँ खुद को रविकर उन्हीं के  हवाले, तबीयत अभी से मचल जा रही है ।।
 *कामचोर 
 (2)
चाय पिला दे जूठी अपनी, रेस्टोरेंट साथ जाकर ।
खीर चटा दे माल-मलाई, ठंडी कुल्फी चूस चुसाकर ।
कोने की दो टिकटें लेकर, देख रहे  डर्टी-पिक्चर 
लौंडों से झगड़ा हो जाये, दोनों जन हो जाते अन्दर-

 पत्नी  आकर जान बचाए ।
लौट के बुद्धू घर को आये ।
उठ्ठक-बैठक सौ करवाए । 
कौन नहीं फिर भी गुण गाये ।

(3)

 मारक  ताना  से  घायल  हो, ताना-बाना ही हिल जाए  ।
मांग भरी जो पहले हुलसित, पर मांग नहीं फिर भर पाए।
बिना टिकट के चढ़ें ट्रेन में, मन प्रेम-नगर छुक-छुक जाए ।
बैच-चेकिंग हो गई एक दिन,  फिर से दोनों ही पकडाए ।

चोर नहीं चोरी से जाए ।
फिर से पत्नी थाने आये ।
लम्पट पति को वापस लाये  ।
कान पकड़ मुर्गा बनवाये ।।


आगे की कथा नहीं बताएँगे-
तुम्हें भी जो करना है कर लो -
ठेंगे से - 



7 comments:

  1. बहुत बढ़िया...!
    यह हुई ना दमदार बात!

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  2. वाह!!! बहुत सुन्दर..

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  3. Waaaaaaah..... Pehli waali to Super-duper Wah!

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  4. चोर नहीं चोरी से जाए ।
    फिर से पत्नी थाने आये ।
    लम्पट पति को वापस लाये ।
    कान पकड़ मुर्गा बनवाये ।।
    रविकर पूरी कथा सुनाये ,
    इंतज़ार का घूँट पिलाए .

    बढ़िया प्रस्तुति खूब रचाए .

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  5. सारे किस्से रोचक ....!

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  6. खूब मौज ली है आपने इस पोस्ट में। लम्पट पति की गति सही बयान की है।

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