साठ साल की हो ली माता । पूत धर्म-संसद बैठाता ।
इक आसन पर मातु विराजी । आये पंडित मुल्ला काजी ।|
तहरीरें सब ताज़ी-ताज़ी । आपस में दिखते सब राजी ।
फर्द-बयानी जीते बाजी | भाई-चारा हाँ जी माँ जी ।।
आजा-'दी वो ताजा मौका | देशी घी का लगता छौंका ।
पंगत में मिलकर सब खाता । साठ साल की हो ली माता ।।
खाना पीना मौज मनाना | धमा चौकड़ी रोब ज़माना |
पहले भांजें बहरू चाचा । शास्त्री एक पत्रिका बांचा ।
बुआ चूड़ियाँ रही बांटती | ढाका मलमल शुद्ध काटती |
निपटे सभी पचहत्तर झंझट | नई पार्टी बैठी झटपट |
सोमनाथ का तांडव नर्तन | झटपट खटपट करते बर्तन |
नई बही पर चालू खाता । साठ साल की हो ली माता ।|
दुहरी सदस्यता का मसला | देसाई कुर्सी से फिसला |
जै जै जै जै दुर्गे माता | जो भी आता शीश नवाता |
आये मिस्टर क्लीन बटोरें | नई सोच से सबको जोड़े ।
बाल-ब्रह्मचारी ने आ के | करते बढ़कर अटल धमाके |
रात हुई मन मौन हो गए | कुर्सी तख्ता सदन धो गए |
जूठी पत्तल कुत्ते चाटें | भौंके डकरें दौड़े कांटे ||
भूखी बाहर रोवे अम्मा | अन्दर सोवे पूत निकम्मा |
साधू मन का प्राण सुखाता । साठ साल की हो ली माता ।
भूखी बाहर रोवे अम्मा | अन्दर सोवे पूत निकम्मा
ReplyDeletekya baat hai sir ,kamal ki rachan
khub prahar kiya aapne ne dharmik logo pr
थोड़ी राजनैतिक दृष्टी से भी देखें -
Deleteकुछ राज की बात है-
आखिर गणतंत्र के साठ साल पुरे हुए हैं-
जय भारत माता ||
कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन है आता कौन है जाता
ReplyDeleteबहुरेंगे दिन इसी आस में,साठ साल की हो ली माता!
सच्चे थे जो फांसी झूले। लुच्चे उनको भी हैं भूले।
ReplyDeleteकोस रही किस्मत को माता। चोर लफंगे थइया ताता।
तब से अब का सार कहा है। पूत निकम्मा सदा रहा है।
वाह बहुत सुन्दर...बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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